कुछ और ख्वाब सजाते हैं

उन ऊँचे कूचो  में रहने वालो
सुनो ये दबी आवाज़ें
वक़्त रहते सुनलो इन्हे
खोल आपने कानों के दरवाजे

जो क्रोध नहीं सुने जाते हैं
वो आक्रोश में  बदल जाते हैं
रेतीले तूफ़ान वही आते हैं
जहाँ पर मैदान रोंदे जातें है

जो हवाएं बहने नहीं दी जाती हैं
वो ही बवंडर सी उभर आती है
देखो ये चिंगारी सुलगने न पाए
एक झोके से ये आग में बदलने न पाए 

चलो सुनते है हालत उस मछली की
जिसके सर तोहमत है तालाब गन्दा करने की
क्यों न हम मिलके इसका उपचार करें
तोहमत लगाने से नहीं कुछ हासिल
इस पर  भी आओ कुछ विचार करें

काट कर फेकना इतना भी आसान नहीं
जब सड़ने वाला हाथ हो अपना
नोच कर फेक दें कुछ फूल ये मुनासिब नहीं
 जब हो ये गुलिस्ता अपना

उन ऊँचे कूचो में  रहनें वालो
चलो कुछ और फूल लगते हैं
वो जो मुरझाये से दीखते है हमें
उनकी आँखों में कुछ और ख्वाब सजाते हैं

कुछ और ख्वाब सजाते हैं.










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