चुस्कियां कुछ भरते हैं



कडक़ती सी दुनिया है, सर्द पड़ी ज़िन्दगी
आओ संग चाय की, चुस्कियां कुछ भरते हैं

एक सिलाई तुम बनो, दूसरी मैं बन जाऊं
चलो ऊनी से ख्वाबों के, स्वेटर हम बुनते हैं

कभी तुम मुझको सुलझाओ, कभी मैं तुमको उलझाऊँ
चलो रंगीन गाँठो के रिश्तें में बँधते हैं

धागों को दिल के, उँगलियों से छूकर
नर्म शालो में, गर्म से ज़ज़बात बुनते हैं

मीठे एहसासो को, शक्कर सा घोल कर
आओ संग चाय की, चुस्कियां कुछ भरते हैं

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