अनकही बातें
वो अनकही बातें, अनकही ही रहें तो बेहतर
वो शब्द जो निकलें और शून्य में खो जाएँ
किसी के दिलोँ दिमाग़ में आश्रय ना पाएं
उनका आशियाँ मेरा दिल ही रहे तो बेहतर
वो अनकही बाते, अनकही ही रहें तो बेहतर
वो बहस जिसका कभी अंत न हो
अंत ही भी तो परस्पर सहमति न हो
उसपर तर्क रखने से तो चुप रहना बेहतर
वो अनकही बाते, अनकही ही रहें तो बेहतर
वो जो हो कर भी यहाँ कुछ न बदले
वो जिसका जाना भी यहाँ कुछ न बदले
ऐसे अस्तित्वहीन आकर से तो निराकार बेहतर
वो अनकही बाते, अनकही ही रहें तो बेहतर
वो रिश्ते जो दिल तोड़ दें और दर्द दें,
धागे मन जोड़ने की जगह बाँध दें
उन धागों का टूट जाना ही बेहतर
वो अनकही बाते, अनकही ही रहें तो बेहतर
मेरी उदास आंखे भी जो तू पढ़ न सके
मुस्कराहट में छिपे मेरे आंसू जो तुझे न दिखे
ऐसे बहते आंसुओं को तो पी जाना बेहतर
वो अनकही बाते, अनकही ही रहें तो बेहतर
Comments
Post a Comment