मैं जो हूँ...

मैं जो हूँ...



मै क्यों  कुछ और बनूँ
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी

तुमसे बराबरी नहीं चाहिए
मैं मेरी मंजिल खुद चुनूंगी
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी
तुम कौन हो मुझे
मेरे ही अधिकार देने वाले 
मै अपने अधिकार खुद चुनूँगी 
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी 
लड़की हो इस वक़्त बहार मत जाओ 
लड़की हो ऐसे कपडे मत पहनो 
तुम्हारी सोच के दायरे में मै नहीं बंधूंगी 
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी 

क्यों यहाँ सिर्फ सीता ही साथ निभाती है
पत्नी के साथ वनवास जाना क्यों दुनिया
राम को नहीं सिखाती है
 हर बार अकेले वनवास मैं ही क्यों सहूंगी
अपनी पवित्रता हर बार यहाँ  मैं ही 
साबित नहीं करूंगी
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी

हर बार क्यों राधा ही प्रीत निभाती है
श्याम कर्त्तव्य के लिए राधा को छोड़ जाएँ
या फिर राधा के रहते गोपियों संग रास रचाये
दुनिया उन पर  ऊँगली नहीं उठाती है
मैं  क्यों न इस बार श्याम बनूं
क्यों मैं ही हर बार राधा बनूंगी
 मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी 
घर के बहार तख्ती तेरे नाम की 
और मैं घर लक्ष्मी बनूंगी ?
घर मेरा है तो इसके बहार नाम भी मेरा होगा 
दुनिया के दोहरे मापदंड मैं अब नहीं सहूंगी 
इन बातों के जाल में मैं अब नहीं फसूंगी 
 मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी 

घर भर को खाना खिलाऊं
और खुद हर बार अंत में खाऊं 
तुम्हारे  सुखो के लिए 
खुद के दुःख भी भूल  जाऊं 
तुम्हारे लिए कभी अन्नपूर्णा, 
कभी सरस्वती कभी लक्ष्मी क्यों बनूंगी 
तुम्हारी इन पद्द्वियों की जगह 
मैं आपने अधिकार चुनूंगी 
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी 

क्यों मुझे कोई और बताये
की मैं क्या करूंगी
हर काम आपने ढंग से करूंगी
नदी की धार सी बहूंगी
दिल चाहेगा तो समुन्दर से मिलूंगी
और नहीं तो फिर लूनी ही बनूंगी

मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी
मैं जो हूँ मैं वही रहूंगी






Comments

  1. Hi Nidhi Ma'am,
    This one is great,yor are good writer..

    ReplyDelete

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