Kavita- मैं राम लिखूंगी

 Kavita- मैं राम लिखूंगी


कहते मुझको सीता सा वो

अपना नाम मैं राम लिखूंगी 

त्याग नहीं है सीता सा पर

कर्त्तव्य का मान रखूंगी 


कहते मुझको पार्वती सा

शिव शंकर मैं नाम लिखूंगी 

 सबको अमृत देकर ये 

विष का मैं तो पान करूंगी


कहते मुझको राधा सा वो 

मैं किशना अपना नाम लिखूंगी 

राधा सी न प्रेम दीवानी 

चंचल सी मैं श्याम बनूंगी 


कहते मुझको सौम्य सुंदरी

मैं अपना नाम हनुमान लिखूंगी 

अपने राम का नाम मैं जप के

सबका बेड़ा पार करूंगी 


जो सरस्वती की सौम्यता है 

तो काली सा गुस्सा भी मुझमे 

प्रतिशोध है द्रौपदी सा ​​

और दुर्गा सी शक्ति भी मुझमें 


मैं ऐसा कोई काम करूंगी

की सार्थक अपना नाम करूंगी 

दुनिया उसको याद रखेगी 

मैं जो भी अपना नाम लिखूंगी

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