बदलने से पहले .....


बहारों का एक खिला सा मौसम था 
इस खिजा के आ जाने से पहले 
ज़िन्दगी इस तरह खुशनुमा  सी थी 
इश्क़ का वो दौर गुजर जाने से पहले 

किस तरहा रोका होगा  खुद को
उसने दर्द-ए-दिल सुनाने से पहले 
दिल खोल रोया होगा वो बादल 
मुझे इस तरहा भिगोने से पहले 

जख्मी तो रहे होंगे उसके जज़्बात
ये नफरत गले लगाने से पहले
लथपथ खून में जरूर होंगे वो हाथ
मेरी पीठ में खंजर चुभोने से पहले


कितना कोमल सा था वो तिनका
काटें में बदल जाने से पहले
किस कदर धुप में झुलसा होगा
मेरे पैरों में चुभ जाने से पहले

वो  शक़्स जो आंख में शक लिए चलता है 
सौ दफा सोचता है एतबार जताने से पहले
सीना उसका भी छलनी तो होगा जरूर
मेरे विश्वास को  यूं दफ़नाने से पहले 

बेइंतहा  भरोसा है मुझे उसकीवफ़ा पे 
आजमाया था मोहोबत करने से पहले 
रहा देखी जरूर होगी उसने मेरी
मेरी गली के मोड़ से मुड़ जाने से पहले

आंखे तो उसकी कई रात रोई होंगी 
मेरे ये ख्वाब के टुकड़े बनाने से पहले 
रहें होंगे कई गिले उसके दिल में भी 
मुझे इतनी शिकायते सुनाने से पहले  






ये मंद पवन का मासूम झोका
यूँ ही नहीं बवंडर सा उठा है 
पैरों तले कुचला गया होगा बहुत
इस तूफ़ान में बदल जाने से पहले 

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