ज़िन्दगी सुलझ गयी



ताउम्र उलझी रही ज़िन्दगी सुलझाने में 
जब खुद सुलझी तो ये भी सुलझ गयी 

पास रही जब तलक दूरियां दर्मिया रही 
जो दूर गयी तो ये दूरिया ही मिट गयी 

कहाँ कहाँ खोज़ा तुझे मेरे मालिक
खोया जो खुद को खुदा को पा गयी 

भटकाती  रही ये मंजिल की आरज़ू 
रहा में सफर की खुशिया मिल गयी








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