कल आज और कल
मेरा आज ये कहता है
मेरा आज ये कहता है
एक रात का फेरा ले
मुझे कल फिर आना है
कल बन कर आज तेरा
फिर कल हो जाना है
किस्सा दो रातों का
जीता ये ज़माना है
न कल वो मेरा था
न कल ये मेरा है
कल आज ही जीना है
बस आज ही मेरा है
इन दो रातों के बीच
मेरा आज अकेला है
इस आज से पहले भी
अनजान अँधेरा है
इस आज के जाते ही
अनजान अँधेरा है
ये वक़्त नहीं रूकता
इसको तो जाना है
मेरा आज पराया हो
मुझे इसको जीना है
यादों के धागों में
हर पल को पिरोना है
मुझे आज में जीना है
मुझे आज में जीना है
Comments
Post a Comment