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Showing posts from 2020

चलो खामोशियाँ सुनते हैं

चलो खामोशियाँ सुनते हैं मुस्कुराते हुए होठो की मायूसियां सुनते हैं  चलो खामोशियाँ सुनते हैं!! टिमटिमाती चमचमाती आंखे बचपन की  बिखरे बाल नंगे पाव भूखे पेट की लाचारियां सुनते हैं  चलो खामोशियाँ सुनते हैं!! लड़खड़ाती जुबान की बेबसी भी सुनते हैं  जो कहा उसने कहा, जो सहा आज इसे भी सुनते है  आओ कुछ खामोशियाँ सुनते हैं !! बातो के शोरगुल से चलो दूर चलते है  दो लफ्ज़ो के बीच की गहराइयों में उतरते हैं  चलो आज खामोशियाँ सुनते हैं !! खबरों और अखबारों में धमाके ही क्यों   ख्वाबो के टूटने की बेआवाज़ चीत्कारियाँ भी सुनते हैं  चलो आज ये खामोशिया भी सुनते हैं !! उन पंक्तियों के बीच में  रूककर  साँस लेने के अंदाज़ को परखते हैं  चलो आज ये खामोशिया सुनते हैं !! अपने कानो को बंद करके आज अपनी धड़कनो को सुनते हैं  अपनी आँखों से उसकी  आँखों को भी पढ़ते हैं  चलो आज हम ये खामोशियाँ सुनते हैं !!

जमघटों को देख लो

हैं सुलगती दिल में इनके नफरतों को देख लो  जल के हो गयी धुआँ इन सिगरटों को देख लो  हैं भरोसे को मेरे ये जोक सा सब चूसते  रंग बदलते हर घड़ी इन गिरगिटों को देख लो  हर   ख़ुशी क्या  जीत लोगे  ज़िन्दगी   में   दौड़   के   उन   अमीर   बिस्तरों   की   करवटों   को   देख   लो   है   गुमान   गर   तुम्हे   की   हो   यहाँ   तुम   चिर   यथा   एक   बार   जाके   तुम   उन   मरघटों   को   देख   लो     महफ़िलों   की   जान   खुद   को   जो   समझते   हो   यहाँ   थे     खिलखिलाते  जो, सूने  पनघटों   को   देख   लो चेहरे   की   उन   रौनको   पे   मर     मिटें   जो   मेहरबान   आज   उनही   सूरतों   की   सिलवटों   को   देख   लो   बंधनो ...

नीव- घर की

नीव- घर की  कुछ भी मैं  तुमसे छुपाती नहीं हूँ  मगर फिर भी सब कुछ बताती नहीं हूँ  तोड़ डाले जो तेरी उमीदों की डोरी  भले सच हो कितना, जताती नहीं हूँ  न जाना तू मेरे अल्हड़ से लहज़े पे  मैं चिंता मेरी बस दिखती नहीं हूँ  दिखती हूँ मैं बेपरवाहा सी लेकिन  ऐसा नहीं तुझको चाहती नहीं हूँ  थोड़ा नमक जीने को है जरूरी  इसे अश्क में यूँ लूटती नहीं हूँ  तन्हाई के गीत होते हैं अपने  तभी संग तेरे गुनगुनाती नहीं हूँ  डरती हूँ  दूर न हो जाऊं तुझसे  तभी इतना भी पास आती नहीं हूँ  जीना न आये इस दिल को किसी दिन  तुमसे ये दिल यूँ लगाती नहीं हूँ  चाहती हूँ सर रख के कंधे पे रोना  मगर मैं कभी रो पाती नहीं हूँ  अडिग हो तेरे होसलो की ईमारत  मैं कमजोर खुद को बनती नहीं हूँ 

मैं तेरी हो नहीं सकती

है सागर से बड़ा होना , नदी सा बह नहीं सकती  तेरी खुशियों में ही जीवन लुटाना सह नहीं सकती  मुझे तुम एक हंसीं सा ख्वाब कह के कैद मत करना फकत एक ख्वाब बनके आँख में तेरी रह नहीं सकती हज़ारो ख्वाब मैने भी मेरी आँखों में है पाले मेरे ख्वाबो तो बिन पूरा किये मैं रह नहीं सकती हैं कितनी चाहतें मेरी, बहुत कुछ है मुझे करना मैं तेरा प्यार बनके बस ये जीवन जी नहीं सकती मुझे उड़ना है, छूना है, मेरे आकाश को एक दिन तुम्हारा चाँद बनके इस जमी पे रह नहीं सकती मुझे फूलो सा कहते हो, मगर सुन लो जरा तुम भी मुझे संघर्ष है करना मैं कोमल हो नहीं सकती है मुझसे प्यार तुम को तो चले आओ मेरे संग तुम मुझे हस्ती बनानी है, मैं साया बन नहीं सकती क्यों बाते जान देने की, जो देना है तो जीवन दो ये जीवन है मिला मुश्किल से इसको खो नहीं सकती तेरी ये नींद है काफूर, मुझे पाना है लक्ष्य जो बिन हासिल किये मेरा लक्ष, मैं अब सो नहीं सकती मुझे चाहत बना के  दिल में रख न पाओगे अब तुम मेरी हैं चाहते लाखो, मैं चाहत हो नहीं सकती मेरा ये धेय नहीं है दिल में तेरे घर बनाने का...

बचपन

ये बचपन की याद  है  ये उन दिनों की बात है  खेल बड़े विचित्र थे हर तरफ ही चित्र थे  झांकते थे बादलो से  चेहरे अनगिनत कई  इंद्रधनुष आसमा में  रंग भरते थे कई   ये उन दिनों की बात है  ये यादो की बारात है  अतीत के ये पन्ने  है.  मासूमियत से लिक्खे हैं  बचपन का एक किस्सा  यादों का मेरे हिस्सा  तो चलो बताती  हूँ  वो वकक्या सुनाती हूँ  ये उन दिनों की बात है  पेड़ मैंने बोया था  सपना एक सजोया था  आम इस् पे आएंगे  दोस्त मिलके  खाएंगे  अगले दिन न आये आम  कितना मैं तब रोया था  ये उन दिनों की बात है  ये यादो की बारात है  खेल गिल्ली डाँडो के  गेंद के उन टप्पो के  कंचो और पतंगों के  पांच पांच गिट्टी  के  रूठने मानाने के कट्टी और बट्टी  के  ये उन दिनों की बात है  ये यादो की बारात है  वो रैपर्स को जोड़कर  फ्री की चोक्लेटो के दिन  वो दोस्तों से लड़ के यूँ  उदास से निकलते दिन  न चैन ...

Thousand shades of purple

  Thousand shades of purple  (LGBT) No I am not pink, a bit bluish  No I am not blue, may be a bit pinkish  I am a shade of purple  It could be more pink or more blue  You may not know, have no clue  Magenta orchid Mauve lavender Not few it’s a whole spectrum So many shade of purple... Have you seen a rainbow? It looks beautiful, don’t u think so? One colour washed into another With the flow of   h eavy rain water  Yes that Blue washed in to pink  Or may be pink washed in to blue Making it a color that looks completely new Yes, that washed shade of purple  Between two color  Though it’s a little blur You may not want to name it But certainly it does exist  Accept it, I do exist  May not be pink, may not be blue   But my existence is still equally true  A color of love and a color of passion  I am natural and beautiful shade of purple

Tumse roothti

Tumse roothti hoon main Kyoki jaanti hoon main  Mujhe tum phir mana loge  Gale se bhi laga loge  Ye ansoo ko bahane ke  Bahane paas aane    ke Ye tumko kuch satane ke Meri baate manane ke  Vi jo muskake na mane Unhe ro ke manane ke  Mera jo Haq hai tujh per sun Usi Haq ko jatane ke  Jo mere Ruthne se rusth  Ho tum rooth jaoge  Ye naazuk pyaar ke dhage  Inhe jo aazmaoge  Na mai tum ko manaoon to Na mujhko tum Manaoge Suno na kis taraha phir tum Mohobbat ko nibhaoge   Chalo Ek kaam karte hai Mai Thoda sa hi roothoongi Mujhe thoda manana tum Main Thoda khud hi maanoongi   Yu haskar, roothkar, milkar  Ise hum tum sambhalenge   Yuhi in pyar ki baaton me  hum Jeevan gujarenge 
ये वो है जो मुझे मेरे देश से जोड़ती है  ये वो है जो मुझे यहाँ के जनमानस से जोड़ती है  मैं चाहें कितने ही देश घूम आऊं  ये मुझे  मेरी मिटटी की खुशबू से जोड़ती है  ये मुझे मेरे बचपन की यादों से जोड़ती है  मेरे बाबा की नसीहतों और माँ की लोरी से जोड़ती है  मैं चाहें कितनी और भाषा बोल लू हिंदी मेरे ख्वाबो की भाषा है ये मुझे मुझ से जोड़ती है 

ख्वाब ज़मीन पर उतरूंगी

 ये अलसायी कुम्भ्लाई अधखुली आँखे  उस ख्वाब को पूरा करने की चाहत में  न जाने गुजारी कितनी अनसोई रातें  उन कठिन पालो का हिसाब मांगती हैं  जो गुजरे थे इस काया को निचोड़कर  कुछ पाने की, कुछ करने की चाहत में  यूँ करती रही जीवन भर प्रयास  आज फिर क्यों ये असर्थता का एहसास  उस सुनहरे ख्वाब के टूटने का आभास  क्यों डुलाने  लगा है मेरा विश्वास  ओढ़ कर सफ़ेद लबादा खुद पर  वो हौसला कोयले की खान से गुजरने का  क्यों हार कर छोड़ने लगा है साथ  क्यों टूटने लगा है ये जज़्बा  कोयले के कालिख से डर कर  क्यों मृत्यु मौन है मेरा ज़मीर,  क्यों आसमान पाने की चाहत,  ले लेना चाहती है मेरी जमीन  नहीं बुझने न दूँगी इस लौ को  ये तूफ़ान में और दहक उठेगी  मुझे चलना ही है आगे बढ़ना ही है  कदमो की ये रफ़्तार न रुकेगी आसमान पाने  की चाहत में  ये जमीन मुझसे ना छूटेगी  अब ये आंख आसमान पे नहीं  उस विस्तृत क्षितिज पे टिकेगी  जहाँ आसमान भी मेरा...

मैं साम्राज्ञी

#kavita Nidhi  हूँ स्वप्न की नगरी की मैं साम्राज्ञी  हाथ में है ये कलम तलवार मेरी  सोच के घोड़े पे मैं हो कर सवार  एक कहानी हूँ मैं देखो रच रही  ये अनुभव बन गए हैं योद्धा मेरे  और अनुभूति बनी  है सेना सारी  पूरी दुनिया बन गयी मैदाने युद्ध ज़िन्दगी से लड़ रही है दुनियादारी  पृष्ठों की रणभूमि देखो सज गयी है  मैदान में ये स्वप्न टोली डट गयी है  फिर उठी जो ये कलम  तलवार सी चलने लगी   दुनिया के इन कायदो,  हर रस्म से लड़ने लगी  कटने और फिर काटने का  सिलसिला था चल रहा  चारो दिशाओं  में लो देखो   घमासान सा मच रहा  स्वप्न कितने क्षत विक्षत  कितने थे धड़ से अलग  फिर भी ज़िंदा थे तड़पते,  चीखते थे बेधड़क  इनके ही इस  रक्त से थी  रंग गयी तलवारे  अब  ये नहीं है शब्द भर जो  रण में काटते हर तरफ  स्वप्न की लाशें गिरी  हैं  किस तरह बिखरी पड़ी हैं  दर्द  ( स्याही) रुपी रक्त बहता  रंग रहा है रण भी अब  युद्ध के अं...

अमरबेल

वो बालकनी में बैठा लेखा के आने का इंतज़ार कर रहा था।    सच, इस इंतज़ार से उबाऊ कोई चीज़ नहीं है दुनिया में।   और वैसे भी इंतज़ार के शिव किया भी क्या है उसने पिछले कुछ बरसो से।  तभी पड़ोस के घर से ४ बजने के घंटे की आवाज़ आयी।  सर में कुछ भारीपन महसूस हो रहा था, सोचा की चाय बना कर पि ली जाए।  पैर न जाने क्यों रसोघर में जाने का मन ही नहीं हुआ।  पहले माँ थी तो कॉलेज से लौटने पर एक कप चाय और फिर गरमागरम खाना मिल जाता था।  माँ के जाने के बाद तो वो खाना खुद ही बनता था ।  वो चाय पीना चाहता था पैर बनाने का दिल नहीं हुआ।  सोचा रहा था जब नीलम आती थी तो खाना न सही चाय तो  बना कर वो भी पिला  देती थी।  नीलम का ख्याल आते ही उसका दिल कुछ ठहर गया और गर्मी की ये दोपहर कुछ और बोझिल हो गई।  कमरे और वातावरण के अंदर की नीरसता उसे अपने अंदर सिमटती महसूस दी।  माँ की मौत के बाद जो अकेलापन उसे नीलम के होते महसूस नहीं हुआ तत्वों अब महसूस होता है।  गर्मी में एक पल की रहत नहीं थी।  उसने सोचा चल कर स्नान कर ले फिर कुछ खायेगा।  वो उठ...

गुरु

जीवन को रोशन करे, उगते सूरज की लाली। ज्ञान गगरिया गुरु की, कभी न होती खाली।। मन मस्तिष्क भटका रही, भयवाह रात ये काली। बने दीप पथ दर्शाये, गुरु देव की वाणी ।। सदा उत्साह वर्धन करे, दें कभी दंड कभी ताली। कहाँ सही कहाँ गलत है, समझ बूझ दे सारी ।। सींच सींच कर हरा करे, ज्यों मन उपवन को माली। गुरुदेव की शिक्षाएं, हैं अमृत रस की प्याली ।। चरणों में मैं नमन करूँ, हो नतमस्तक मुद्रा धारी।  देवों से पहले सदैव, हो गुरुजानो की बारी ।।

माँ से पहले मैं नारी हूँ

माँ से पहले मैं नारी हूँ मैं रही दिए की लौ बन कर  घर आंगन रोशन करती हूँ  मत खेलो मेरे जज़्बातों से  अंगार भी मैं बन सकती हूँ  मैं भड़क उठी जो अग्नि सी  ये गांव जला भी सकती हूँ  जो हवा तूफानी लाओगे  तो ख़ाक तुम्हे कर सकती हूँ  मंदिर में अपने रखते हो  पूजा भी मेरी करते हो  माँ कह कर आगे तुम मेरे  नत मस्तक अपना करते ही  हाँ वही मैं सीता मैया हूँ  हाँ वही मैं राधा रानी हूँ  हाँ वही मैं रक्षा करने वाली  माँ दुर्गा और भवानी हूँ  काली भी है अवतार मेरा  मैं रुद्र रूप धर  सकती हूँ  और याद रहे गर चाहूँ तो  मैं चंडी भी बन सकती हूँ  हर रूप में माँ स्वीकार है जब  मुझको भी तुम स्वीकार करो  माँ से पहले मैं नारी हूँ  हर नारी का सम्मान करो  माँ से पहले मैं नारी हूँ  हर नारी का सम्मान करो.......  ~Kavita nidhi

अभी और भी हैं

अभी   और   भी   हैं  ... ठोकरो   से   हो   न   विचलित   रास्ते   कई   और   भी   हैं   अफ़सोस  ( सोग)   ना   कर   हार   का   तू   मंज़िलें   अभी   और   भी   हैं   आस   का   एक   दीप   बुझता   सौ   दिए   नए   और   भी   हैं   न   मिला   जो   चाहा   था   पर   चाहतें   अभी   और   भी   हैं   एक   यही   बस   गम   नहीं   है   दर्द   कितने   और   भी   हैं   आज   उनका   साथ   छूटा   पर   सहारे   और   भी   है    प्यार   कितना   है   किया   पर   प्यार   मुझमे   और   भी   है   मर   मिटे   हम   उनपे   लेकिन   ज़िन्दगी   अभी   और   भी   है   तेरी   रूह   का ...