माँ से पहले मैं नारी हूँ
माँ से पहले मैं नारी हूँ
मैं रही दिए की लौ बन कर
घर आंगन रोशन करती हूँ
मत खेलो मेरे जज़्बातों से
अंगार भी मैं बन सकती हूँ
मैं भड़क उठी जो अग्नि सी
ये गांव जला भी सकती हूँ
जो हवा तूफानी लाओगे
तो ख़ाक तुम्हे कर सकती हूँ
मंदिर में अपने रखते हो
पूजा भी मेरी करते हो
माँ कह कर आगे तुम मेरे
नत मस्तक अपना करते ही
हाँ वही मैं सीता मैया हूँ
हाँ वही मैं राधा रानी हूँ
हाँ वही मैं रक्षा करने वाली
माँ दुर्गा और भवानी हूँ
काली भी है अवतार मेरा
मैं रुद्र रूप धर सकती हूँ
और याद रहे गर चाहूँ तो
मैं चंडी भी बन सकती हूँ
हर रूप में माँ स्वीकार है जब
मुझको भी तुम स्वीकार करो
माँ से पहले मैं नारी हूँ
हर नारी का सम्मान करो
माँ से पहले मैं नारी हूँ
हर नारी का सम्मान करो.......
~Kavita nidhi
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