स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस मना रहे, दिल में वो मज़ा नहीं
जितना हमने चाहा था, देश आगे बढ़ा नहीं
माना प्रगति हो रही, दिशाए कुछ सही नहीं
माना उन्नति की हमने, रफ़्तार तेज हुई नहीं
आसमा को छु लिया, उड़ान भी ऊँची हुई
जमी पे कैसे रहना है, शऊर ये सीखा नहीं
दिल में प्यार है अभी, पर बात वो रही नहीं
लड़ते हैं हम आज भी, पर देश के खातिर नहीं
आतंकवाद बढ़ रहा है, कोशिशे नाकाम हुई
नेता से कुर्सी डरी, और बढ़ गयी है धांदली
पूछो गरीब से है क्या, आज़ादी पता नहीं
स्थिति गरीब की, आज भी सुधरी नहीं
सपने जो भी देखे थे साकार वो हुए नहीं
संस्कृति इस देश की, जाने कहाँ पे खो गयी
फिर भी मेरे भारत सा, देश कोई दूजा नहीं
दुनिया हमने जो देखी, इंडिया प्यारी लगी
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