नीव- घर की

नीव- घर की 

कुछ भी मैं  तुमसे छुपाती नहीं हूँ 
मगर फिर भी सब कुछ बताती नहीं हूँ 
तोड़ डाले जो तेरी उमीदों की डोरी 
भले सच हो कितना, जताती नहीं हूँ 


न जाना तू मेरे अल्हड़ से लहज़े पे 

मैं चिंता मेरी बस दिखती नहीं हूँ 

दिखती हूँ मैं बेपरवाहा सी लेकिन 

ऐसा नहीं तुझको चाहती नहीं हूँ 


थोड़ा नमक जीने को है जरूरी 

इसे अश्क में यूँ लूटती नहीं हूँ 

तन्हाई के गीत होते हैं अपने 

तभी संग तेरे गुनगुनाती नहीं हूँ 


डरती हूँ  दूर न हो जाऊं तुझसे 

तभी इतना भी पास आती नहीं हूँ 

जीना न आये इस दिल को किसी दिन 

तुमसे ये दिल यूँ लगाती नहीं हूँ 


चाहती हूँ सर रख के कंधे पे रोना 

मगर मैं कभी रो पाती नहीं हूँ 

अडिग हो तेरे होसलो की ईमारत 

मैं कमजोर खुद को बनती नहीं हूँ 








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