बचपन

ये बचपन की याद  है 
ये उन दिनों की बात है 


खेल बड़े विचित्र थे
हर तरफ ही चित्र थे 
झांकते थे बादलो से 
चेहरे अनगिनत कई 
इंद्रधनुष आसमा में 
रंग भरते थे कई  

ये उन दिनों की बात है 
ये यादो की बारात है 

अतीत के ये पन्ने  है. 
मासूमियत से लिक्खे हैं 
बचपन का एक किस्सा 
यादों का मेरे हिस्सा 
तो चलो बताती  हूँ 
वो वकक्या सुनाती हूँ 

ये उन दिनों की बात है 

पेड़ मैंने बोया था 
सपना एक सजोया था 
आम इस् पे आएंगे 
दोस्त मिलके  खाएंगे 
अगले दिन न आये आम 
कितना मैं तब रोया था 

ये उन दिनों की बात है 
ये यादो की बारात है 


खेल गिल्ली डाँडो के 
गेंद के उन टप्पो के 
कंचो और पतंगों के 
पांच पांच गिट्टी  के 
रूठने मानाने के
कट्टी और बट्टी  के 

ये उन दिनों की बात है 
ये यादो की बारात है 


वो रैपर्स को जोड़कर 
फ्री की चोक्लेटो के दिन 
वो दोस्तों से लड़ के यूँ 
उदास से निकलते दिन 
न चैन था न होश था 
वो मौज में गुजरते दिन 

ये उन दिनों की बात है 
ये यादो की बारात है 







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