Gazal- खिलता है घर बेटियों से

Gazal- खिलता है घर बेटियों से


सबक ये मिला है मुझे आशिकी से

के होती मुहब्बत नहीं हर किसी से 


जो पाया तुम्हें हर खुशी मिल गई है 

नहीं है गिला अब मुझे जिंदगी से


नहीं मुझको जाना यहां पर किसी ने 

कि पहचान यूं तो मेरी है सभी से 


कि कहने को तो कह रहा वो हंसी में

ये कड़वाहतें पर,छुपी ना किसी से 


थी गैरत बड़ी ना झुका वो कहीं पे

झुका आगे औलाद के सर ख़ुशी से 


है जीवन की मेरे निधि बस इसी से

कि खिलता है घर बेटियों की हंसी से

~kavitaNidhi 


Nigahen milane ko jee chahata hai 

122 122 122 122

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