कमियां
अभी भी कमियां हैं बहुत, उन्हें संवार रही हूं
आपके दिए सुझाव, कविता में उतार रही हूं
बस लिख रही हूं जो दिल कह रहा है लिखने को
आप बीते कुछ किस्से कलम से उभार रही हूं
आपके दिल तलक पहुँचे तो मुकम्मल है जिंदगी
वर्ना तो यूँ समझो कि बस इसे गुजार रही हूं
Comments
Post a Comment