होली

 रंग तो हर होली लगा है,पर ऐसा कभी लगा नहीं  

तेरे इश्क सा कोई भी रंग मुझ पर कभी चड्ढा नहीं है!

~kavita Nidhi 


उसकी बातो ने बिना रंगो के रंगा था

और आंखें ने बिन पानी के भीगोया था

मैं आज भी उस खुमारी में हूं यारो

वो नशा इश्क का था जिसने मुझे डूबोया था

~ kavita Nidhi 



तेरी आँखों से थी पी ली, तेरे इश्क़ की ख़ुमारी 

कोई रंग सा चढ़ गया था उन बातों से तुम्हारी 

कुछ ऐसा रंग गयी थी उस साल की वो होली 

मेरे पी se kheli होली, मेरे पी ki मैं थी होली 






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