ज़िन्दगी एक कबड्डी
एक जमाना इस खेल को समझने में लगा है
ये ज़िन्दगी का सफर कुछ कबड्डी सा कटा है
जब भी मैंने इसे छूना चाहा
इसने मुझे कुछ ऐसे पटक दिया
और जब इसने मुझे छूना चाहा
तो मैंने इसे वैसे ही पटक दिया
एक जमाना इस खेल को समझने में लगा है
ये ज़िन्दगी का सफर कुछ कबड्डी सा कटा है
कभी मै ज़िन्दगी को और कभी
ये मुझको पटकती रही हैं
टक्कर बराबर की चल रही है
पर हार हर बार मुझे ही मिल रही है
सच, एक जमाना इस खेल को समझने में लगा है
ये ज़िन्दगी का सफर कुछ कबड्डी सा कटा है
अब जाके समझ आया हैं ये खेल
इसे कस के नहीं पकड़ना है
बस जाना है इसके पास
और इसे छु के निकलना है
खेल इतना मुश्किल भी न था, बस देर से समझा है
ज़िन्दगी का ये सफर कुछ कबड्डी सा कटा है
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