यूहीं किस्से नहीं बनते


महोब्बत में नहीं होती हमेशा एक सी रातें
कभी बहार हैं बरसातें, कभी अंदर हैं बरसातें

तेरे आगोश में गुज़री थी  जाने कितनी ही रातें
तेरे ही ख्वाब पे हँसते, तेरे ही ख्वाब पे रोतें

कभी अंदाज  न मिलते, कभी अल्फ़ाज़ न मिलते
ना कह पाती हैं आवाज़े, जो कह जाते हैं सन्नाटे
 
मैं अपनी धड़कनो को मिलके तुमसे थाम लेती हूँ 
जो तुम सुनलेते  इसको, मेरे दिल के राज खुल जाते 


चले जाऒ जो कह देते, बिना पूछे चले जाते
तेरे खामोश लब मुझको ना यु बेचैन कर जाते

ये दुनिया जान कर भी हम अनजाने ही रह जाते
ना खुद को ढूंढ पाते हम, जो तुम हमको ना ठुकराते


तेरी गुमसुम सी आँखों को बता कैसे समझ पाते
तू जो आवाज दे देता कहीं से भी चले आते

कभी जब मोड़ से गुजरे, तेरे उस घर के ही आगे
कोई आदत पुरानी सी, कदम अक्सर हैं रुक जाते

मुक्कमल गीत न बनते, अधूरा प्यार न करते
तेरे इस इश्क़ में खुद को जो हम बर्बाद न करते

जो टूटे दिल को अपने दर्द से आबाद न करते
तेरी मेरी मोहब्बत के यूहीं किस्से नहीं बनते
 
Kahan koi mukammal prem ke kabhi geet gata hai
adhoora rah gaya hai jo fasana  use hi gungunata hai 

adhoora jo fasana rah Gaya, use hi gungunata hai 
 

Jara nazare utha ke dekh lo mukho jara sa tum 

Main apni jaan tere naam kar doongi yu muskake.


 











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