तूफ़ान उठना चाहिए


सीने की इस आग से सूरज पिंघलना चाहिए
दिल में जज़्बा है अगर तूफ़ान उठना चाहिए

लड़ रहें हैं हर कदम , बांध के सर पे कफ़न 
जीत का सेहरा कभी तो सर पे होना चाहिए 

इस जमी पे दर्द के सैलाब उठने हैं लगें
आसमां के दिल में भी अब दर्द होना चाहिए

रात काली इतनी लम्बी चाँद भी डूबा लगे
रात को अब चीर कर सूरज निकलना चाहिए 

मिल नहीं सकती है माफ़ी, बस महज़ कह देने से
गलतियां होती है माना, एहसास होना चाहिए

और कितनी है सजा अब, ये बता मुझको खुदा
 इंसान तो इंसान है, तुझको समझना चाहिए

चिंगारियों से अब सुनो, होगा  कुछ हासिल नहीं
जोश का इस दिल में अब शोला भड़कना चाहिंए

सौ दिशा में दौड़ें  हम जो, भीड़ से हो जायेंगे
है जीतना तो, हर कदम अब साथ चलना चाहियें 

क्रोध भी अब कब तलक, धैर्य का पर्वत रहे
बन के एक ज्वालामुखी, लावा निकलना चाहिए

युद्ध की नीति नहीं ये, पीठ पीछे वार कर
युद्ध है तो, युद्ध का एलान होना चाहिए

————
डूबती नैया को यारो, एक किनारा चाहिए 
स्याह काली रात को बस एक सितारा चाहिए 

तेरी  ख़ुशी के वास्ते, हैं दर्द कितने ये लियें
अश्क़ तो पिलएंगे हम, तू  खुश भी दिखना चाहिए

तुझको मेरे छोड़ने से गर मिलेगी ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ही छोड़ देंगे, हम को और क्या चाहिए

जान भी देदूं मैं अपनी आशिकी में अब सनम
इश्क़ में मजनू सा मुझको, महबूब मिलना चाहिए

प्यार के एहसास का बस इस तरह इज़हार हो
कुछ  कहो या न कहो, महसूस होना चाहिए

है नहीं काफी ये कहना, इश्क़ हमको है बहुत
हैं अगर जज़्बात दिल में, दर्द होना चाहिए 

मैं लुटादूँ  तुझपे अपनी ज़िन्दगी की हर ख़ुशी
चहरे सा मासूम तेरा दिल भी होना चाहिए

प्यार में तड़पन है कितनी, तुम न समझोग़े अभी
मुझसा ही अब, तुझको मुझसे इश्क़ होना चाहिए 

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साहिलो की रेंत ही क्यों, पानी से हो तर-ब् -तर
सेहरा की इस रेंत को भी, अब समुन्दर चाहिए

जख्म से बेजार तन ये, चीस मचने है लगी 
जाँ निकल जाने से पहले, कोई मलहम चाहिए



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