तेरे आने से

                      तेरे आने से 
ख्वाब तेरे सोये रहते हैं इन पलकों के आँचल में
जैसे चाँद छुपा बैठा हो उस काळे से बादल में

दुनिया मेरी सजती है अब, तेरी मीठी बातों से
जैसे चिड़िया बोल रही है, इस टहनी की कोटर से

मंद पवन में धीरे धीरे, पत्ते हैं कंपन करते
जैसे तेरे छू लेने से, बढ़ती धड़कन सीने में

धूप छाँव से जीवन में, तुम आये ख़ुशियाँ बनके
जैसे पहली साँस चली हो, एक नन्हे से जीवन में

सुबह सवेरे सर्दी में हो,सूरज की कोमल किरने
हसी लबो की खिली खिली,निखर गयी तुमसे मिलके

तुम दिन में तुम रातोँ में , तुम  हर पल में सब लम्हो में,
मैँ भूल गयी हूँ खुद को ही, तुम ही रहते हो अब मुझमे

तेरी नज़रों से ही अक्सर, हम तो अब खुद को देखें
काजल बिंदी कँगन लाली, अब भूल गएँ हम आईने
~ Kavita nidhi


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