ख्वाहिशे ही ज़िन्दगी
जरूरते दे रही है कन्धा मेरी इन मृत ख्वाइशों को
मर कर भी रखा है ज़िंदा इसने इनकी फरमाइशों को
मर कर भी रखा है ज़िंदा इसने इनकी फरमाइशों को
जरूरते दे रहीं हैं कन्धा, मेरी मृत ख्वाईशो को
मर कर भी रख्खा है
जरूरतों की फरमाईश को पूरा करने
मेरी ख्वाईशो ने क़ुरबानी दी है
ना चीर पाऊंगा इसे
था मैंने ये मान लिया
भीड़ की दिशाओं में ही
मैंने रुख था मोड़ लिया
था मैंने ये मान लिया
भीड़ की दिशाओं में ही
मैंने रुख था मोड़ लिया
बगावती न हो उठें ये
उनका सर कुचल दिया
मैंने अपनी ख्वाईशो को
इतना गहरा दफ़न किया
उनका सर कुचल दिया
मैंने अपनी ख्वाईशो को
इतना गहरा दफ़न किया
आँख मूंदे ख्वाइशे
कब्र में पड़ी रहीं
अपनी जान के लिए
ये इतना भी लड़ी नहीं
एक दिन न जाने क्यों
कैसी ये हवा चली
खिज़ा के सूखे बाग़ में
फिर नमी सी भर गयी
सूखी दिल की मिट्टी को
कुछ उस तरह से तर किया
बदलो ने प्यार के
कि मौसम ही बदल दिया
ख्वाईशो की कब्र पे
अब एक पौधा उग गया
नन्ही कलिया खिल उठी
और एक फूल लग गया
फूल रूप में नयी
ख्वाइशे ये जग गयी
कैसी ये बरसात थी
कि ज़िन्दगी बदल गयी
बरसात के इस पानी की
एक धारा बह उठी
नदी सी उमड़ पड़ी
किस ओर जाने चल पड़ी
ज़िन्दगी की चाह में
ये इस कदर मचल उठी
ख्वाहिशे ही ज़िन्दगी
है इस अदा से चल पड़ी
इन ख्वाईशो की फिर नयी
दिल में कालिया खिल गयी
खुद से प्यार हो गया
तो ज़िन्दगी सवंर गयी
ये ज़िन्दगी सवंर गयी.....
Comments
Post a Comment