तब हम बच्चे हुआ करते थे...

तब हम बच्चे हुआ करते थे... 

लड़ते थे हर रोज पर दोस्त पक्के हुआ करते थे 
लोग कहते है की तब हम बच्चे हुआ करते थे 

पापा की एक डाँट से हम उदास हुआ करते थे 
छिपा के गलतियाँ छोटी परेशान हुआ करते थे 
मन के हम साफ़ और कितने सच्चे हुआ करते थे 
लोग कहते हैं की तब हम बच्चे हुआ करते थे 

तोहफे थे खजाने, गुल्लक बैंक हुआ करते थे
ऑफिस ऑफिस, घर घर बस खेल हुआ करते थे
दुनियादारी में हम जरा कच्चे हुआ करते थे
लोग कहते हैं की तब हम बच्चे हुआ करते थे

सितारों में भी अपने ठिकाने हुआ करते थे 
सपनो की दुनिया के ज़माने हुआ करते थे
हर ख्वाब ज़िन्दगी के सच्चे हुआ  करते थे 
लोग कहते हैं की तब हम बच्चे हुआ करते थे 

उड़ने की चाहत, अरमान आसमानी हुआ करते थे 
रिश्तों के ये धागे बड़े ही रूहानी हुआ करते थे 
कच्ची थी बातें पर वादों के पक्के हुआ करते थे 
लोग कहते हैं की तब हम बच्चे हुआ करते थे

वो रातें वो दिन भी बड़े अच्छे हुआ करते थे
लोग कहते हैं की तब हम बच्चे हुआ करते थे
~kavita Nidhi. 

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