तूफ़ान उठना चाहिए

सीने की इस आग से सूरज पिंघलना चाहिए

दिल में जज़्बा है अगर तूफ़ान उठना चाहिए


चिंगारियों से अब सुनो,  होगा कुछ हासिल नहीं

जोश का इस दिल में अब शोला भड़कना चाहिंए


रात काली इतनी लम्बी चाँद भी डूबा लगे

रातों को अब चीर कर सूरज निकलना चाहिए 


और कितनी है सजा अब, ये बता मुझको खुदा

 इंसान तो इंसान है, तुझको समझना चाहिए


सौ दिशा में दौड़ें जो, भीड़ से हो जायेंगे

है जीतना, तो हर कदम, साथ  उठना चाहियें 


क्रोध भी अब कब तलक, यूँ धैर्य का पर्वत रहे

बन के एक ज्वालामुखी, लावा निकलना चाहिए


इस पवन के कान में  तू , फूक दे कुछ यूँ निधि 

आसमा आल्हाद से फिर , गूंज उठना चाहिए 

—————Ok 











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