रिश्ते

 कुछ रिश्ते ना टूटे हैं ना आवाज़ करते हैं 

बस वक़्त के गर्त में खामोशी से खो जाते हैं 

कभी जो ज़िन्दगी से बढ़ कर  हुआ करते थे 

कैसे इस कदर हमसे अजनबी से  हो जाते है 


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