दिल के जज़्बात
मेरे दिलऐ जज़्बात
बड़ी मुश्किल से बिठाये हैं बहर में , मेरे दिलऐ जज़्बात
जाते हैं बाहेर फिर भी निकल ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
वैसे भी ये शर्ते कहाँ मानी कभी जामने की इसने
अपने ही दिल के तो मालिक है ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
थोड़े उन्मुक्त से हैं ये, बड़े उद्दंड और उच्छंद से हैं
बिना किसी छंद निकल आते हैं ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
कितना समझाया इन्हे , काफिया में रहें, ये रदीफ कहें
सुन बगावत पे उतर आते हैं ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
लिखते हम भी, कुछ तो शायरी, कोई अच्छी सी गजल
गर सलीके से निकलते जरा ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
मैंने तो सोच लिया था मेरा एक तख़ल्लुस भी निधि
आके मक़्ते पे यूँ बिखरते न जो ये, मेरे दिलऐ जज़्बात
~kavitaNidhi
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