Muktak
रोक न पाओगे समुन्दर को किनारो में
अब्र बनके देखना बारिश सा बरस जाऊंगा
दर्द हूँ मैं, और कितना ठहरूंगा तेरे दिल में
अश्क़ बनके एक दिन आँखों से छलक जाऊँगा
~ KavitaNidhi
रोक न पाओगे समुन्दर को किनारो में
अब्र बन के बारिश सा बरस जाएगा
कब तलक रक्खोगे इस दर्द को सीने में
अश्क़ बन के आँखों से छलक जाएगा
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