बंटवारा उन यादों का

 बंटवारा उन यादों का


चलो उन यादों का भी बंटवारा कर लेते हैं, जो साथ  गुज़री थी कभी हमने  


उस दिन जो बारिश में एक घर  की शेड में हम रुके थे, याद है?

कितनी ठंडी हवा थी ना? बारिश के साथ. 

सुनो तुम वो बारिश और हवा दोनों की याद रख लेना। 

मुझे तुम्हारी गर्म जैकेट का एहसास ही काफी है। 


और एक बार वो जो सड़क किनारे से मैंने झुमके ख़रीदे थे 

खो गया था मुझसे एक जाने कैसे 

पर फिर तुम्हारी पॉकेट से मिला था.वो तुम रख लेना, 

मेरी यादों में उसकी छनक की आवाज़ काफी है। 



याद है वो हाईवे वाला रेस्टोरेंट और वो waiter 

कितनी  funny थी उसकी बातें 

तुम वो यादें रख लेना.. मैंने रख लिया है 

तुम्हारा चोरी से मुझे देखना, मेरे लिए काफी हैं...



वो पुचके, वो फूल, वो बस की सीट, वो बाइक 

और ना जाने क्या क्या.. सब तुम ही रख लेना.. 

 जानते हो न मैं वैसे भी भूलक्कड़ हूं।

जाने क्या अनमोल याद खो दूं यू ही इन राहों में 


वैसे ये ना कहना कि मेरी हंसी की आवाज 

तुम्हारी यादों का हिसा है, मेरे आंसू ,मेरी साँसे और मेरी नज़रे भी। 

कह दोगे तो मुश्किल जिंदगी और मुश्किल हो जाएगी।

ऐसा करते हैं की इन मुश्किलों को थोड़ा आसान कर लेते  है, 


चलो आज  उन यादों का बटवारा कर लेते हैं जो साथ गुज़री थी कभी हमने 


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