Posts

Showing posts from March, 2022

जरूरी है

प्यार   को   बढ़ाने   के   लिए  माना कि  रहना   थोड़ा   सा   पास   जरूरी  है पर प्यार   बना   रहे   हैं  इसलिए  कभी   कभी  दूरी  का   एहसास   जरूरी   है सच   से   बहुत परे   ही   सही ,  पर   आंखो   में  थोड़े से  ख्वाब   जरूरी   है और   जिंदा   रहने   को   झूठी   ही   सही ,  एकउम्मीद ,  एक   आस   जरूरी   है ठंडे   मटके   के   पानी   का   मजा   चाहिए तो, तपती   धूप   में   चंद   लम्हात   जरूरी   है खुशी   महसूस   करनी   है   तो   जनाब   दर्द   से   जरा  सी  पहचान   जरूरी   है हार   को   जीत   में   बदलना  हो तो,  थोड़ा  जज्बा,   थोड़ा   विश्वास   जरूरी   है भगवान   तो माफ़   कर   देंगे ,...

अजीब खेल

  अजीब   खेल आओ   चलो   आज   एक   खेल   खेलते   हैं खेला   है   तुमने   भी   इसे  कई  बार एक   छोटी   सी   रेखा   खींचते   हैं और  मैं   रेखा   के  इस  पार   और   तुम उस पार अब   एक   कदम   चलना   है रेखा की ओर  सामने   वाले   के क़दमों को   देख   कर अगर   सामने   वाले   से   पहले   रेखा   तक   पहुँच   गए   तो   हार   हैं और   अगर   पीछे   रह   गए   तो   भी   हार   है इसलिए सामने   वाले   के   हर   कदम   को परख कर   कदम   बढ़ाना   है कभी   कभी   प्रतिद्वंदी   या   कहो   सहभागी : आगे   बढ़ते   बढ़ते ,  पीछे   हट   जाते   हैं। जीतना   है तो   नज़र   उनके   हर   एक   कदम   पर   होनी ...

Raja’s poem

  Never give up There was a boy, in a normal neighbourhood,  in a normal house. Like Pied Piper he chased the mouse. He searched for treasures buried deep.  Of portals in which time took a leap. He wanted to become someone extraordinary. He wanted to be remembered in the books of history. His dreams wouldn’t let him sleep. His visions were big and deep. What happened to the boy? He grew up with sorrow and grief By the window he used to weep His fear ate up his self beliefs  His failures made him give up The sky once which glittered with stars was dark Dark as his life had become With mundane routine an no fun Had he not given up, his life would become  a story of inspiration to many others. ~Yashwardhan Agarwal

खुदा मिलेगा

 ताउम्र उलझे रहे ज़िन्दगी सुलझाने में  जब खुद सुलझे तो ये भी सुलझ गयी  खुद में खोकर, खुद को खोया  खुद को खो दे  खुदा मिलेगा।   खोज खोज कर जग में हारा  खुद में खोज तो खुदा मिलेगा।  ~kavita nidhi  खुद में झांक खुदा मिलेगा 

होली

  रंग   तो   हर   होली   लगा   है ,पर ऐसा कभी लगा नहीं   तेरे   इश्क   सा कोई भी रंग मुझ पर कभी   चड्ढा   नहीं   है ! ~kavita Nidhi  उसकी   बातो   ने   बिना   रंगो   के   रंगा   था और   आंखें   ने   बिन   पानी   के   भीगोया   था मैं   आज   भी   उस   खुमारी   में   हूं   यारो वो   नशा   इश्क   का   था   जिसने   मुझे   डूबोया   था ~ kavita Nidhi  तेरी आँखों से थी पी ली, तेरे इश्क़ की ख़ुमारी  कोई रंग सा चढ़ गया था उन बातों से तुम्हारी  कुछ ऐसा रंग गयी थी उस साल की वो होली  मेरे पी se kheli होली, मेरे पी ki मैं थी होली 
  Ajeeb khel   Aao chalo Aaj Ek khel khelte hai  Karla hai tumne bhi ise kai baar Ek choti si Rekha Kheecte hain  Main Rekha ke is paar Aur Tum is paar Ab Ek Ek kadam chalna hai  Saamne wale ke karni ke dekh kar  Agar saamne wale se pehle Rekha tak pahuch gaye to haar hai Aur agar peeche reh gaye to bhi haar hai  Isliye saamne wale ke Har kadam ko  Parakh kar kadam badhana hai  Kabhi Kabhi pratidwandi ya kaho sahbhagi Aage badhte badhte, piche hat jaate hai.  Jeetna hai yo Nazar unke Har Ek kadam per honi chahiye  Aur jaisa ki maine kha… yaha pratidwandi,  Sahbhagi hai aapka to jara muskurakar kheliye  Jaante hain is khel ka naam? Rishte. Haan rishte hi hai iska naam  Inhe nibhana hai kadam se kadam mila a hai  Agar aap is rishte me pyar ki lakeer ke paas jyada aa gaye to haar jaoge  Aur kahin peeche reh gaye to jee nahi Paoge.  Bada mazedaar khel hai. Sab khelte hain  Per mahir koi nahi hai. ...

Na hoti

जिंदगी   ये   मेरी   जिंदगी   न   होती,  अगर मुझको   तुझसे   मोहब्बत   न  होती  न   होती   ग़ज़ल ,  न   कविता   ये   होती,  जो   मुझको मिली  तेरी   सोहबत   न   होती ख्यालो   में  ' काश '  नहीं   मेरे   होता,  इस दिल  को  कोई   फिर उम्मीदें   न  होती  यूँ हँसते मेरे इन लबो   के   कभी   संग,  ये आंखे   मेरी   ऐसे नम   तो  न होती  ख्यालो   में  ' काश '  नहीं   मेरे   होता,  इस दिल में कोई फिर धड़कन न होती  यूँ हँसते मेरे इन लबो   के   कभी   संग,  ये आंखे   मेरी   ऐसे नम भी  न होती 

बस यही अलग था

बस   यही   अलग   था तुम   प्यार   में   डूबना   चाहते   थे   और   मैं   उड़ना  तुम्हारा   प्यार   सागर   सा   गहरा   था   जिस में   तुम  उतरते  चले   गए और   मेरा   आसमान   से   विस्तृत ,  बंधनों   से   दूर ,  आजाद ...  और  मैं  उसमे   दूर   निकल   आई। तुम   आज   भी   डूबे   हो   और   मैं   पंख  फैलाये   आकाश   में   हूं आज इस ऊँचाई   से उस   गहराई   में   कुछ   नहीं   दिख   रहा,  और   जनती   हूं   नहीं   दिखता होगा उस गहरायी से   इस ऊंचाई का  तुम्हे अपना प्रेम का सागर मिला  मुझे  मेरे  प्यार   का   आसमान प्यार   तो   था   पर   अलग   था वैसा   ही   जैसे   हम   अलग   थे और यही ‘अलग' हमरे  प्रेम का...

तेरी अदाओ पे

  मेरे   जज्बात   इतने   क्यो ,नए   से   आज   लगते   हैं ये   सोये   थे   कहीं   पहले जगे   से   आज   लगते   हैं तुम्हारा   पास   आना   भी मेरी   धड़कन   बढ़ता   है इसी   के   शोर   से   शायद ये   मुझमें   ख्वाब   जगते   हैं न   मुझको   दोष   देना   तुम या   मुझे   रोक   देना   तुम मेरे   हालात   मेरे   हाथ   से जो   इस   पल   निकलते   हैं ~ Kavita Nidhi  —-///-//—— मेरे   जज्बात   छू   कर   यूं,  वो   देखो   मुस्कुरायें   है मिरी आंखों   में   ये   रंगीन ,  कितने   ख्वाब   आए   हैं मैं   जो   महसूस   करती  हूं,  ये   मुझमे   थे   कहीं   पहले   या   ये   दिल   के   धड़कने   से,  अचानक   दिल   म...