Ma, Tu Yaha Hai



मैं कब से सोई नहीं वैसे, 
कभी सोई थी तेरी गोद में जैसे 

आलिशान बिस्तर है मखमली चादर 
पर तेरी साड़ी से आती खुशबू कहाँ है?
कितने ही तालो में सुरक्षित हूँ मैं 
तेरी गोद सा मेहफ़ूज़ एहसास कहाँ है?

याद है मुझको तेरी उंगली पकड़ना 
और वो मेरा बहकते कदमो से चलना 

अब थक गयी हूँ चल चल कर मैं 
वो आगे बढ़ने का निडर जज्बा कहाँ हैं? 
तेरी उँगलियों ने दिखाए थे जो सितारे 
वो और उन्हें पाने की चाहत कहाँ हैं?

तेरा वो प्यार से खाना बनाना 
और मुझे आपने हाथ से खिलाना 

आज खाने को पकवान बहुत हैं 
पर वो तेरे हाथ सी मिठास कहाँ हैं?
कैसे भूलूंगी उन पलों को मैं 
माँ मुझ पे तेरे ये एहसान बहुत हैं 

मेरी हर धड़कन को छुआ है तूने 
आज मैं तेरी रूह को  छू रही हूँ 
वही एहसास, वही ख्वाब दे रही हूँ 
मेरी बेटी की पलकों में 

उसकी गर्म हथेली की पकड़ 
पर पल कहती है मुझसे 

" माँ तू यहाँ है "
मुझमे "माँ तू यहाँ हैं" 

                                    NJ




Comments

  1. बहुत अच्छा लिखा है।

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