वो प्यारी सुबह



 
सूरज की आखों मॆं पड़ती किरने
अलसाये बिस्तर पर सिकुड़ी सी चादर
सुबह सवेरे, कानो मॆं पड़ती माँ की आवाज
अखबार वाले की दरवाजे पर दस्तक,

भाई का मुझको आ कर जगाना,
स्कूल की टाई की नोट लगवाना,
उठते ही माँ का ये कहना,
जमीन पे पाव मत रखना,
सर्दी लग जायेगी तुमको,

दिल मॆं भरे प्यार का इशारा,
सोकर उठ कर पापा की गोदी मॆं
सर रखे आंखें मूंदे,
कुछ  क्षण  यूही लेटे रहना
कितनी प्यारी थी वो सुबह,
सुबह तो आज भी हुई है,
सूरज भी निकला होगा,
माँ भी जागी होंगी,
शायद दिल मॆं उसके मेरी
तबियत की चिन्ता भी होगी
भाई आज भी टाई बाँधता होगा,
अखबार आज भी आया होगा,
पापा आज भी बैंठें होंगे,
सोचते की मैं कब फिर आ कर
उस गोदी मॆं सर रखूँगी,

यहाँ बहुत दूर, मैं तन्हा सोचती हूँ,
एक दिन फिर लौट जाऊंगी
घर जा कर अपने बचपन मॆं फिर से ,
जहाँ पापा, माँ, भाई सब होंगे,
इस दौड़ती भागती दुनिया से दूर,
माँ की छाव मॆं, पापा की गोदी मॆं,
उस प्यार से भरे संसार मॆं,
लगता है इन कुछ सालो मॆं,
सदिया पार कर आयीं हूँ,
यहाँ इतनी दूर अपने घरोंदे से,
सिर्फ़ काम और काम करती हुई,
ख़ुद को भूल चुकी हूँ मैं,
ये साल मुझे सफलता की
नई मंजिले दे गए हैं, पर
अपने साथ कुछ ले गए हैं
क्या?
वो प्यारी सुबह
वो प्यारी सुबह......

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