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Showing posts from August, 2024

प्यार के बोल- new

  प्यार के बोल का प्यार ही मोल है प्यार को तोल न प्यार अनमोल है प्यार निशब्द है प्यार ही गूंज है प्यार की है जो भाषा वही मौन है प्यार के इन्ही धागों से जख्म है सिला  जिंदगी खिल गई प्यार जिसको मिला प्यार ही हैं  दवा प्यार ही तो दुआ शून्य ही है ये जीवन इसके बिना प्यार जो था सिया का वही राम है  राम थे जो सिया के वही प्यार है  प्यार निस्वार्थ है  प्यार ही तीर्थ है  कृष्ण राधा निभाए वही प्यार हैं  प्यार से जीत लो प्यार में हार के  कर लो हासिल इसे, अपना सब वार के  प्यार में है खुदा प्यार सब से जुदा मर मिटा इसमें जो, है अमर जान ले ना कोई शर्त हो,प्यार की शर्त है  जिसको कहते खुदा,ये वही शब्द है  प्यार आदि भी है प्यार ही अंत है  नाम जो भी लो तुम, प्यार ही अर्थ है

वो कहानी चलने दी

ख़त्म  करना मुश्किल था बहुत, तो  हमने  वो कहानी चलने दी  नींद टूटी, फिर भी आँख मूँद, ख्वाबो की ये रवानी चलने दी टूट के बिखरना और फिर, बिखर के संभलना सीख लिया हमने  यूँ मरना आसान नहीं था, तो बस हमने ये ज़िंदगानी चलने दी  पता है सुलह नहीं हो पाएगी तेरी मेरी इस बहस की कभी इस बहाने बात होती हैं, तो हमसे ये लड़ाई तुम्हारी चलने दी   न तूफ़ान पे था जोर कोई, और न पतवार ही थी  हाथ  मेरे था कोई और ही साहिल मेरा, पर मैंने किनारे  ये  कश्ती  लगने दी  जतन सारे किये कि पसंद उनकी बनूँ, जिक्र तो करतें  है वो   पीठ पीछे ही सही,  मैंने ये सोच उनको बुराई हमारी करने दी वो मजा कहां है बता, आज कल के इन गानों में निधि  बस चुकी है दिल में जो,शामोपहर वो गजल पुरानी चलने दी  ~kavitaNidhi ———-/

Muktak. Tareef

 हुनर उन हाथो में था जिनके छूने से पत्थर भी इतिहास हुए  ये तारीफ ही हैं आपकी, जो हम यूँ ख़ाक से कुछ ख़ास हुए 

जूनून

आँखों में दहकते शोले , मेरे दिल में है बेचैनी  एक ख्वाब खुली आँखों से मैंने तो अभी देखा है तितली सी फड़क उठती है  मेरी धड़कनो में अक्सर   मेरा नाम फलक पर लिखा, मैंने ख्वाबो में देखा है  मेरी सांस दहक़ उठती है, और खून उबल जाता है  मेरी मुठ्ठी में किस्मत से मेरा जज्बा लड़ जाता  है  कुछ नयी लकीरे खीचूँ, एक नया भविष्य  लिखूं  मेरा खून कलम में स्याही बन करके उतर जाता है  मेरा चाँद भी सूरज बनने को ऐसे तप जाता है  एक नया सवेरा लाने, वो आग में जल जाता है  तुम ये न समझ पाओगे, ये कैसा जुनूँ  होता है  इस आग में जलने का भी अपना ही मज़ा होता है।  ~KavitaNidhi एक ख्वाब खुली आँखों aksar ki basa hota hai है।  तितली सी फड़कती हैं मेरी धड़कनो में अक्सर  मेरा नाम    फलक पे dekho khwabo me likha hota hai. hai    है।   मेरी सांसे मचल उठती है, तुम ये न समझ पाओगे  इस आग में जलने का भी अपना ही मज़ा होता है।  ~KavitaNidhi

बंटवारा उन यादों का

 बंटवारा उन यादों का चलो उन यादों का भी बंटवारा कर लेते हैं, जो साथ   गुज़री थी कभी हमने     उस दिन जो बारिश में एक घर  की शेड में हम रुके थे, याद है? कितनी ठंडी हवा थी ना? बारिश के साथ.  सुनो तुम वो बारिश और हवा दोनों की याद रख लेना।  मुझे तुम्हारी गर्म जैकेट का एहसास ही काफी है।  और एक बार वो जो सड़क किनारे से मैंने झुमके ख़रीदे थे  खो गया था मुझसे एक जाने कैसे  पर फिर तुम्हारी पॉकेट से मिला था. वो तुम रख लेना,  मेरी यादों में उसकी छनक की आवाज़ काफी है।  याद है वो हाईवे वाला रेस्टोरेंट और वो waiter  कितनी  funny थी उसकी बातें ,    तुम वो यादें रख लेना..  मैंने रख लिया है  तुम्हारा चोरी से मुझे देखना, मेरे लिए काफी हैं... वो पुचके, वो फूल, वो बस की सीट, वो बाइक  और ना जाने क्या क्या.. सब तुम ही रख लेना..   जानते हो न मैं वैसे भी भूलक्कड़ हूं। जाने क्या अनमोल याद खो दूं यू ही इन राहों में  वैसे ये ना कहना कि मेरी हंसी की आवाज   तुम्हारी यादों का हिसा है, मेरे आंसू , ...

Muktak

रोक न पाओगे समुन्दर को किनारो में अब्र बनके देखना बारिश सा बरस जाऊंगा  दर्द हूँ मैं, और कितना ठहरूंगा तेरे दिल में  अश्क़ बनके एक दिन आँखों से छलक जाऊँगा  ~ KavitaNidhi रोक न पाओगे समुन्दर को किनारो में  अब्र बन के बारिश सा बरस जाएगा  कब तलक रक्खोगे इस दर्द को सीने में  अश्क़ बन के आँखों  से छलक जाएगा 

प्रकति का नियम है

कभी साथ रहा करते थे,प्यार करते थे ,और कभी-कभी थोड़ा लड़ते थे  हर चीज पर अपना  हक जताते, छोटी-छोटी बातों पर कितना  झगड़ते थे   टीवी तो एक ही था और अपने program से पहले, कैसे रिमोट छुपाकर रखते थे  धीरे से  दूसरे पर नज़र रखते, और कैसे बात बात पर एक दुसरे की शिकायत करते थे  याद है वो ताकिया जो हम दोनों को पसंद था,ख़ासियत ये कि बाकी से वो थोड़ा ज्यादा नरम था  रूम में रात को जल्दी डिनर के बाद आकर, वो  तकिया ले सोने का नाटक करते थे  और वो अपना फ़्रीज़, जिसके रंग पर हम दोनों सहमत थे, हम दोनों को ही ग्रे से ज्यादा रेड पसंद था  पानी की बोतल कौन भर कर फ़्रीज़ में रखेगा, इस बात पर तकरीबन हर रोज़ ही अड़ते थे  और हां वो गाजर का हलवा, वो  मुरब्बा याद है, जो हम साथ छुप  कर चोरी करते थे  पर अगर किसी की मार पड़ने का नंबर आये तो आँख के इशारे पर  ही बात बदलते थे  उफ्फ वो भी क्या दिन थे बचपन के, जब हम दोनों इतना झगड़ते थे पर हमे पता है, दिल से हम दोनों एक दुसरे पर  कैसे जान छिड़कते थे...

साड़ी सी मोहब्बत

               साड़ी सी मोहब्बत सुनो तुम माँग तो रहे हो साड़ी सी मोहब्बत, पर क्या मेरे प्यार के बदले इतना ही,  परत दर परत गहरा मुझसे इश्क कर पाओगे? या किसी कुर्ती से सहूलियत भरे रिश्ते पर ही सिमट जाओगे? चलो मान लिया पसंद हूं मैं तुम्हें बहुत,  मेरी बहुत सी बातें अच्छी लगती हैं तुम्हे।। पर क्या पसंद से आगे बढ़ पाओगे? क्या मेरी कमियों में भी मेरा साथ निभाओगे? मुझे सिर्फ गहरा नहीं ठहरा हुआ प्यार चाहिए  क्योंकि मेरे दिल की परतें साड़ी की प्लीट्स से भी ज्यादा है क्या इनकी गिरहा खोल पाओगे?  क्या तुम मेरे दिल की उन गहराईयों में उतर पाओगे? ~kavitaNidhi मैं सहेज कर रखा हुआ प्यार तुम्हें दे तो दूं  पर  क्या तुम उसे वैसे ही रख पाओगे? क्योंकि मैंने तो तुम्हें हमेशा सहूलियत से पैंट शर्ट पहनते ही देखा है   तो फिर कैसे तुम नजाकत से संजोई मेरी मोहब्बत संभाल पाओगे?  तो सोच लो मुझसे मेरी साड़ी सी मोहब्बत माँगने से पहले  जानते भी इसे पाने का मतलब?  जानते भी हो, इसे संभालना? जब लगे हां, तो हक से ले लेना मेरी मोहब्बत इश्...

स्वतंत्रता दिवस

स्वतंत्रता दिवस मन रहे हैं , पर दिल में वो मज़ा नहीं  जितना हमने चाहा था, देश आगे बढ़ा नहीं।। माना प्रगति हो रही ,दिशाएं कुछ सही नहीं  उन्नति भी है की हमने,रफ़्तार तेज हुई नहीं।। दिल में प्यार  है अभी, पर बात हो रही नहीं  लड़ते हैं हिम आज भी, पर देश के खातिर नहीं।। आतंकवाद बढ़ गया, कोशिशे नाकाम हुई  नेताओं से कुर्सी डरी, बढ़ गयी है धाँधली।। पूछो गरीब से है क्या, आजादी ये पता नहीं  स्तिथि गरीब की, आज भी सुधरी नहीं।। सपने जो संजोयें थे, साकार वो हुए नहीं  संस्कृति वो  देश की, जाने कहाँ पे खो गयी।।  फिर भी भारत जैसा है, मेरे देश में कमी नहीं  दुनिया हमने जो देखी, इंडिया प्यारी लगी।।