Muktak
ना टूटेगी तेरी हिचकी, मैं तेरी बात करती हूँ
रुके जो नाम से मेरे, समझना याद करती हूँ
~Kavita Nidhi
उन हाथो में कुछ बात थी जिन्हे छूकर पत्थर भी इतिहास हुए
ये तारीफे ही हैं आपकी जनाब की हम ख़ाक से कुछ ख़ास हुए
लोग कहने लगे मुझसे, मैं कितना बदल गया
मैं वक्त के सांचे में जरा सा क्या ढल गया
वो वक्त भी था एक जब चलता था दिल से मैं
तो कहते थे यही लोग, मैं रास्ता भटक गया
——
नेता जी ने अपनी चुनवी भीड में जूते एनालिसिस करवाये
‘पता करो किस तरह के जूते है’ बोलके अपने आदमी दौड़ाये
अगर चमकदार जूते बहुत हैं तो चंदा अच्छा मिलेगा
पर देखो तो फटी सिलाई वाले मिडिल क्लास कितने है आए
सरकार गरीब का और अमीर का दोनों का ख्याल करेगी
बस मिडिल क्लास वाले वोट दे दे और टैक्स भर जाये
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