चाँद के रूप

चाँद  के रूप



उमर के साथ देखो  कैसे रूप बदलता है ये चाँद 


कभी कहते थे जिसे मामा हम, अब 

जवान दिल को महबूब सा लगता है वो चाँद 

माँ की लोरी ही नहींगज़ल, गीत 

और कभी शायरी का हिस्सा बनता है ये चाँद 

और फिर एक उमर आती है जब 

अपना बच्चा भी तो हमे  लगता है चाँद 


उमर के साथ देखो न कितने रूप बदलता है ये चाँद 


कभी दिल को छू  ले ये  पूनम का चाँद 

कभी इंतज़ार कराये क्यों ये ईद का चाँद 

बिन बालो के भी दिख जाता कभी ये चाँद 

कभी कटोरी है चाँद, कभी रोटी है चाँद 

हज़ारो तारो में अकेला अनोखा है चाँद 

कल्पनाओं में हमारी हरदम रहता है ये चाँद 


रूप बदल बदल कर दिल को बहलाता है ये चाँद 


हर उमर में देखो न कितने रूप बदलता है ये चाँद 










Comments

Popular posts from this blog

Kavita- मैं राम लिखूंगी

चाय

मन मेरा बेचैन है