कुछ खुद के लिए रखना

‘ नहीं लाते मुस्कराहट कभी मुरझाये हुए फूल’ इस बात को हमेशा याद रखना।  ( बात का हमेशा ध्यान रखना)

सबकी खुशियों का भी सोचना, पर तुम खुद का भी थोड़ा ख्याल रखना।  

दिन रात खटकती हो सब को मनुहारती मनाती हुई तुम,
थोड़ा रुक जाना जब थक जाओ, दो चार पल तुम  खुद के लिए भी पास रखना।   

कभी नींद न खुल पाए जल्दी तो खुद को मत कोसना,
‘ ३ बार इस साल टिफिन miss हुआ बच्चे का’ छोड़ देना इसका हिसाब रखना।   

खाना आज बहुत अच्छा नहीं बना तो अफ़सोस मत करना,
कल बहुत अच्छा भी तो बना था, बस ये जरा सा तुम याद रखना।  

कभी भूल जाओ जो चीज़े रख कर कहीं और याद न कर पाओ तुम, 
‘होता है ऐसा भी’ कहना मुस्कुराकर, मन को मत अपने तुम उदास रखना।  

भले कोई कह दे तिरस्कार करके कि ‘ ये तुमसे नहीं हो पायेगा’,
तू कर सकती है सब कुछ ये मन में अपने अडिग विश्वास रखना।

जब हर किसी से प्यार जताती हो तो खुद से क्यों नहीं ?
कोई और दे न दे, अपने हिस्से का थोड़ा प्यार अपने पास रखना।   
~Kavita Nidhi

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