Kahani- vo sawali si ladki.
आज सोचा कि कुछ लिखा जाएगा. कहानी लिखने का मन बना पर सोच रही हूं कि क्या लिखूं। वैसी कहानी है क्या?
कुछ घटाएं जो आपके मन को प्रेरित कर सके या आपके जीवन को प्रेरित करे।पर ये घाटनाये कहानी नहीं है. बाल्की उनको अपनी नजरों से देख कर लिखना कहानी है।और अगर आपका नजरिया पढ़ने वाला समझ जाए और महसूस कर पाए तो आपकी कहानी सार्थक है।और अगर ये कहानी किसी की जिंदगी में प्रेरणा बन जाए तो ये कहानी अमर है।चलिए ये तो कहानी की बात हो गई...पर कौन सी ऐसी घटना थी मेरे जीवन की जिस पर मैं कहानी लिख सकती हूँ ।
तो बात उन दिनों की है जब मैं कक्षा ६ में थी। मेरे पापा एक बैंक में नौकरी करते थे और उनका हर ३-४ साल में स्थानांतरण (तबादला होता रहता था। हमने अभी अभी इस नए शहर में शिफ्ट किया था और नवंबर का महीना होने के कारण मेरा स्कूल में लेट एडमिशन था
हाफ इयरली नजदीक थे और मुझे बहुत सारा काम पूरा करना था। टीचर ने फर्स्ट डे, क्लास की टोपर रीना भारती से मेरी मित्रता करा दी और उसे मेरी सहायता करने के लिए कहा। वो एक दुबली पतली सवाली सी लड़की थी पर बेहद जहीन और सभ्य। वो सिर्फ पढ़ाई में ही नहीं बल्कि विचरो से भी मुझे बेहद पसंद आयी। और जिस तरह उसने मेरी सहायता की, हम दोनों अच्छेदोस्त बन गए थे। जितनी वो उसकी लिखाई भी सुन्दर थी उससे कहीं ज्यादा वो स्वाभाव से सुन्दर और सरल थी। हम अपना काफी वक़्त साथ बिताते क्लास में भी और इंटरवल में भी।
परीक्षा को अब कुछ ही दिन रह गए थे और मेरा अभी भी काफी कोर्स बाकि था। मैं भरकस प्रयास कर रही थी कि जल्द से जल्द अपने नोट्स कम्पलीट कर लूँ। ये वो दौर था जब ज़ेरॉक्स एंड फोटोकॉपी
आम नहीं थे। और माँ ने भी जोर दिया की सब खुद से नोट करके लो तो जल्दी याद भी हो जायेगा।
एग्जाम नजदीक थे। और उस दिन मैंने सोचा कि इंटरवेल में भी कुछ नोट्स पूरा करके जल्दी से लंच कर लेती हूँ। और काम ख़त्म करके, क्लास में ही टिफ़िन खा रही थी। तभी मेरी एक और classmate ने मेरी तरफ देख कर मुझे लंच के लिए ज्वाइन करने को बोला और मैं चली गयी। उसने मुझ से मेरे पिछले स्कूल के बारे में पूछां और फिर धीरे से मुझे रीना भारती से दूर रहने के लिए सचेत किया।
मेरे पूछने पर बताया कि वो अच्छी लड़की नहीं है और कुछ महीने पहले चोरी करते हुए पकड़ी गयी थी। मैंने पूंछा कि क्या चुराया उसने तो वो बोली की उसने क्लास के कई बच्चो की किताबे चुराई थी। और मैथ्स टीचर ने उसे पकड़ा था।उसकी बातपर बाकि २ साथखड़ी लड़कियों ने भी हामी भर दी। मैं ये सुन कर दंग रह गयी।
समझ नहीं आ रहा था कि ये कैसे हो सकता है, इतनी भोली भली और होशियार लड़की और चोरी? पर लगा की अगर सब कह रहें हैं तो सच ही होगा, मैंने उस दिन से रीना से थोड़ी दूरी बना ली। अपनी सीट चेंज कर ली और उससे कम बात करने लगी।
इधर नेक्स्ट वीक से हमारी ४ डेज की प्रेपरेशन लीव् स्टार्ट हो गयी और मंडे से एग्जाम था। मैं बहुत मेहनत से तैयारी में जुट गयी क्योकि अपने पहलेही एक्साम्स में टीचर की favriout बनने का मौका मैं गवाना नहीं चाहती थी। और कही न कहीं मैं रीना सेभी बेहतर exam करना चाहती थी।
मेरे पेपर्स अच्छे जा रहे थे। रीना ने वाकई काफी अच्छे नोट्स लिखे हुए थे। आज मैथ्स का एग्जाम था और monday को इंग्लिश का है। मुझे चिंता सता रही थी क्योकि मेरे इंग्लिश के एक चैप्टर के नोट्स पूरे नहीं थे। मैंने सोचा मैथ्स का एग्जाम करके रीना से रिक्वेस्ट करके उसके नोट्स १ ऑवर के लिए ले लूंगी। मैं जानती थी की उसका घर स्कूल से निकलते ही पास में है। उसी के घर पर ही नोट कर लूंगी। पर मैथ्स के एग्जाम के बाद मुझे रीना मिली ही नहीं। मुझे लगा वो शायद घर निकल गयी है। मैं भी स्कूल से निकल कर उसके घर की तरफ चल दी। वहां जाकर मैंने उसके घर का दरवाजा खटखटाया, और दरवाजा उसकी बुआ ने खोला। मैंने दरवाजा खुलते ही रीना के लिए पुछा। पर उनके कुछ कहने से पहले ही मेरी नज़र सीमा पर पड़ चुकी थी। और मैं कुछ स्तब सी हो गयी थी। क्योकि वो नजारा कुछ मेरी उम्मीद से अलग था।
रीना आंगन बैठी बहुत से बर्तन साफ़ कर रही थी, वो अपनी स्कूल ड्रेस में ही थी।
मुझे देखती ही हाथ धो कर वो आ गयी, मैंने उससे इंग्लिश के नोट्स की बात की तो उसने मुझे एक रूम में बैठा कर नोट्स ला दिए। मैंने थोड़ा संकोच से पूछा कि मुझे करीब १ घंटा लगेगा उसे अभीपढ़ना तो नहीं है। उसने कहा वो ४ बजे से पहले नहीं पढ़ेगी। और मुझे एक गिलास पानी दे कर चली गयी। कमरे से मैं साफ़ देख सकती थी की वो बर्त्तनक के ढेर की सफाई कर रही है और उसके कपडे भी गीले हो चुके हैं। फिर थोड़ी देर में वि कपडे बदल कर आयी और अपनी ड्रेस धोकर सूखने डाल दी। मैं देख रही थी की वो काफी तेज काम कर रही थी। फिर वो किचन में गयी और एक प्लेट में रोटी सब्जी ले आयी। और मेरे ही पास आ कर खाने लगी। मेरी नज़र उसकी प्लेट पर गयी तो देखा की रोटी बासी थी और सब्जी भी बहुत जरा सी थी। मैंने सब कुछ अनदेखा सा करते हुए, उससे पूछा की मैथ्स का पेपर कैसा गया। उसने हंस कर कहा कि ‘अच्छा हुआ है।’ मैंने जल्दी से अपना काम ख़तम किया और उसके नोट्स की कॉपी उसकी तरफ बढ़ा दी। और bye बोल कर अपना बैग उठाने लगी। मैं घर की तरफ बढ़ गयी, पर मेरे मन में बड़े तरह तरह के सवाल आ रहे थे।
मैंने घर आकर मम्मी को सब बताया, और फिर अपने कमरे में पढ़ने चली गयी।
परीक्षा खत्म हो चुकी थी। और हमरा विंटर ब्रेक चल रहा था।
मैं आज धूप में छत पर बैठी थी मम्मी के साथ,पड़ोस की एक आंटी मम्मी से मिलने आयी थी और मम्मी से साथ वो भी छत पर ही धूप में बैठी थी। मुझे देख कर ऐसे ही मुझे से एग्जाम और स्कूल के बारे में पूछने लगी। मम्मी ने उन्हें बताया कि सीमा चौहान नाम की एक लड़की मेरी क्लास में है और उसने बहुत हेल्प की; तो आंटी ने पुछा की क्या इसका घर स्कूल के पिछले गेट से लगा हुआ है?
मैंने हाँ में जवाब दिया।
आंटी बोली कि ‘ मौहल्ले में सभी को पता है कि रीना भारती की मम्मी ७-८ साल पहले जल कर मर गयी थी। और उसके पापा ने दूसरी शादी कर ली है और पास के ही टाउन में अपनी नयी फॅमिली के साथ रहतें हैं। और इस बेचारी बच्ची को यहाँ नौकरानी जैसे रखते है वो लोग'
मुझे उनकी ये बात सुन कर बहुत धक्का सा लगा। पर उनकी बातो ने मेरे उन सारे सवालो का जवाब दे दिया जो मेरे जहन में उठे थे उस दिन उसकी हालत देख कर।
मुझे समझने में देर न लगी की उसने किताबो की चोरी क्यों की होगी। और मुझे अपने व्यवहार परिवर्तन पर भी थोड़ी ग्लानि हुई।
मैंने सब की बातों में आकर उससे बात करना कम कर दिया था और फिर भी उसने मुझे अपने इंग्लिश के नोट्स दिए थे। कहाँ मैं कभी एक गिलास पानी भी खुद नहीं लेती और कहाँ वो एक्साम्स में भी घर भर के बर्तन साफ़ करके पढ़ने बैठी थी। उसदिन मेरी आँखों में उस लड़की का सम्मान कई गुना हो गया और मेरे मन में जो उसे एग्जाम में पीछे छोड़ने की भावना थी वो भी कहीं चली गयी।
कहते हैं न हर किसी की ज़िन्दगी अलग है और हर किसी की परेशानियां भी अलग, हम बस नंबर से तोल कर रैंक दे देतें है।
पर किसी के रस्ते आसान हैं और किसी के बहुत ही मुश्किल, फिर किस बात की ये दौड़ और कैसा ये कम्पटीशन। उस दिन से मैंने लोगो और उनकी ज़िन्दगी का सम्मान करना सीख लिया।
तो ये थी वो कहानी जिसने मुझे प्रेरित किया और दिया मुझे मेरा empathy का पहला सबक।
Comments
Post a Comment