बचपन के दिन
बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्ली के दिन वो गरमी की छुट्टी दुपहरी के दिन वो कोयल की कूह कूह, गिलहरी के दिन वो अमिया के पेड़ो पे बोरो के दिन वो सखियों संग बगिया में झूलो के दिन वो दानो को चुगती गौरैया के दिन और शामो को चलती पूर्वैया के दिन वो जामुन के दिन वो आमो के दिन वो कुल्फी, शिकंजी, तरबूजों दिन वो सुनी दुपेरिया में मस्ती के दिन दोस्तो के संग मटरगश्ती के दिन वो चाक कलम और तख्ती के दिन वो थोड़ी सी छूट थोड़ी सख्ती के दिन बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्ली के दिन वो सर्दी की सुबह कड़कते से दिन वो कोहरे की चादर में लिपटे से दिन वो सुबह अँधेरी सी सड़को के दिन वो पैदल ही साइकिल ले चलते से दिन वो लम्बे ठिठुरते गली के किनारे सफेदी लिए उकेलिप्टस के दिन वो कोसी सी धूप निवाये से दिन वो रंगीन ऊने बुनाई के दिन वो शॉल वो स्वेटर वो मफलर के दिन वो गरमा गरम चाय कॉफ़ी के दिन वो मुँह से निकलकर धुआं होते दिन वो जागे से दिखते जो सोये से दिन बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्...