Posts

Showing posts from November, 2021

बचपन के दिन

बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्ली के दिन वो गरमी की छुट्टी दुपहरी    के दिन वो कोयल की कूह कूह, गिलहरी के दिन वो अमिया के पेड़ो पे बोरो के दिन वो सखियों संग बगिया में झूलो के दिन वो दानो को चुगती गौरैया के दिन और शामो को चलती पूर्वैया के दिन वो जामुन के दिन वो आमो के दिन वो कुल्फी, शिकंजी, तरबूजों    दिन वो सुनी दुपेरिया में मस्ती के दिन दोस्तो के संग मटरगश्ती    के दिन वो चाक कलम और तख्ती के दिन वो थोड़ी सी छूट थोड़ी सख्ती के दिन  बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्ली के दिन वो सर्दी की सुबह कड़कते से दिन वो कोहरे की चादर में लिपटे से दिन वो सुबह अँधेरी    सी सड़को के दिन वो पैदल ही साइकिल ले चलते से दिन वो लम्बे ठिठुरते    गली के किनारे सफेदी लिए उकेलिप्टस के दिन वो कोसी सी धूप निवाये से दिन वो रंगीन ऊने बुनाई के दिन वो शॉल वो स्वेटर वो मफलर के दिन वो गरमा गरम चाय कॉफ़ी के दिन वो मुँह से निकलकर धुआं होते दिन वो जागे से दिखते जो सोये से दिन बड़े याद आते हैं बचपन के दिन वो रातें सुकूं की और तसल्...

कुछ खुद के लिए रखना

‘  नहीं लाते मुस्कराहट कभी मुरझाये हुए फूल’ इस बात को हमेशा याद रखना।  ( बात का हमेशा ध्यान रखना) सबकी खुशियों का भी सोचना, पर तुम खुद का भी थोड़ा ख्याल रखना।   दिन रात खटकती हो सब को मनुहारती मनाती हुई तुम, थोड़ा रुक जाना जब थक जाओ, दो चार पल तुम  खुद के लिए भी पास रखना।    कभी नींद न खुल पाए जल्दी तो खुद को मत कोसना, ‘ ३ बार इस साल टिफिन miss हुआ बच्चे का’ छोड़ देना इसका हिसाब रखना।    खाना आज बहुत अच्छा नहीं बना तो अफ़सोस मत करना, कल बहुत अच्छा भी तो बना था, बस ये जरा सा तुम याद रखना।   कभी भूल जाओ जो चीज़े रख कर कहीं और याद न कर पाओ तुम,  ‘होता है ऐसा भी’ कहना मुस्कुराकर, मन को मत अपने तुम उदास रखना।   भले कोई कह दे तिरस्कार करके कि ‘ ये तुमसे नहीं हो पायेगा’, तू कर सकती है सब कुछ ये मन में अपने अडिग विश्वास रखना। जब हर किसी से प्यार जताती हो तो खुद से क्यों नहीं ? कोई और दे न दे, अपने हिस्से का थोड़ा प्यार अपने पास रखना।    ~Kavita Nidhi

जिंदा रखना है

देखना   दिल   मासूम   रहे   चाहे   चेहरा   संजीदा   रखना अपने   अंदर   के   बच्चों   को   तुम   हमेशा     जिंदा   रखना   है चीनी   के   मेरीज   हो   तो   मिठाईयां   कम   चखना चॉकलेट   और   टॉफी   को   भी   जरा   दूर   रखना मगर   अपने   अंदर   के   बच्चों   को   तुम   हमेशा   जिंदा   रखना   है खेल   ना   पाओ   ना   सही   शौक   भले   चुनिंदा   रखना उम्र   नींद   ले   जाए   जाने   दो ,  पर   ख्वाबो   को   उठता   परिंदा   रखना कुछ   भी   हो   अपने   अंदर   के   बच्चों   को   तुम     हमेशा   जिंदा   रखना   है नज़रो   से   साफ   दिखे   या   न   दिखे ,  पर   दिल   तुम   साफ   सुथरा...

चाँद के रूप

चाँद    के   रूप उमर   के   साथ  देखो  न   कैसे   रूप   बदलता   है  ये  चाँद  कभी   कहते   थे   जिसे   मामा हम, अब  जवान दिल को  महबूब   सा   लगता   है  वो   चाँद  माँ   की   लोरी   ही   नहीं ,  गज़ल, गीत  और कभी  शायरी   का   हिस्सा बनता   है  ये  चाँद  और फिर एक   उमर   आती   है  जब  अपना  बच्चा   भी तो हमे    लगता   है   चाँद  उमर   के   साथ   देखो न कितने रूप बदलता है ये चाँद  कभी दिल को छू  ले ये  पूनम का चाँद  कभी इंतज़ार कराये क्यों ये ईद का चाँद  बिन बालो के भी दिख जाता कभी ये चाँद  कभी कटोरी है चाँद, कभी रोटी है चाँद  हज़ारो तारो में अकेला अनोखा है चाँद  कल्पनाओं   में   हमारी  हरदम रहता है ये चाँद  रूप बदल बदल कर दिल को ...

Muktak- बचपन वाले दोस्त

  समझदारी से रिश्ते बस निभते हैं, दिल जुड़ते नहीं  तभी तो बचपन वाले दोस्त फिर कभी मिलते नहीं  समझदारी से तो रिश्ते बस निभाए जाते हैं, दिल से जुड़ते नहीं  तभी तो बचपन की नासमझी वाले दोस्त फिर कभी मिलते नहीं  ~kavitaNidhi  लगता था रिश्ते बनाने सिख लेंगे जब हम बड़े और समझदार  होंगे  नहीं पता था बचपन की नासमझी में बने दोस्त ही बस दमदार होंगे