टूटा पत्ता ज़िन्दगी

टूटा पत्ता ज़िन्दगी


शाख से गिरना है तय 

ख़ाक में मिलना है तय 

ज़िन्दगी का ये सफर 

इसका गुजरना भी है तय


सुन रे पत्ते , सुन रे पत्ते 

थोड़ा सा तू तैर ले 

खुद के इस वजूद की तू 

एक झलक तो लूट ले  


इस तरह तू खिल के हंस 

फूल संग में खिल उठे 

झूम के यूँ चल जरा तू 

हवा मचलने सी लगे 


देख ये अंदाज़ तेरा  

मय बहकने सी लगे 

और नभ भी कह उठे 

जीना इसी का नाम है 

जीना इसी का नाम है 


क्षण भर का है जो ये सफर 

हर कोई दोहराएगा 

कितने  टूटे और गिरे फिर 

किसे याद रह जायेगा 


एक जो  एहसास तेरे 

संग में ही बस जायेगा 

कि कौन कितना झूमता सा 

ख़ाक में मिल जायेगा 


सुन रे पत्ते , सुन रे पत्ते 

थोड़ा सा तू तैर ले 

खुद के इस वजूद की तू 

एक झलक तो लूट ले। …..


~Kavita Nidhi 


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