मेरे पापा
खुद गर्मी सह लेते पापा
धूप में छाया बनते पापा
मैं जब भी थक कर हार गई
मेरी हिम्मत बनते पापा
मैं जब जब तन्हा घबराई
मेरे साथ खड़े थे पापा
मुश्किल के बरसे बदल जब
मेरी छतरी मेरे पापा
रास्ता जब है खो सा जाता
‘अब क्या होगा बोलो पापा’
कंधे पर सर रखती थी तो
‘मैं हूँ ना’ कह देते पापा
पापा के जैसे ही हंसना
पापा सी ही बाते करना
हरदम ये इच्छा थी मेरी
तुम सा ही बन जाऊं पापा
दिल ही दिल मुस्काती थी मैं
जब सब xerox बतलाते थे
कितना अच्छा हो जायेगा
गर दिल तुमसा पा जाऊं पापा
आज जरा कमजोर दिखें हैं
कंधे भी कुछ और झुकें हैं
बचपन में जो लगते थे वो
super hero मेरे पापा
पर अब भी जब कह देते हैं
सर पे हाथ मेरे रख कर वो
लगता है अब नहीं अकेली
मेरे साथ हैं मेरे पापा
खुद गर्मी सह लेते पापा
धुप में छाया बनते पापा.........
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