Posts

Showing posts from September, 2013

झील और झरना

प्यार बना है झरना मेरा झील रही    उसकी चाहत पर                                       ठंडी सर्द हवाओं मैं जब                      कांप रही मेरी धड़कन जब                      ख़ामोशी की चादर ओढ़े,                      खड़ी रही उसकी चाहत पर लहरों के उन उफानो में जब मैं    बहती हूँ हर पल संयम का आँचल थामे तब चलता वो गीले साहिल पर                             ...

ग़ज़ल..... जाने वालो से

Image
जाने वालो से यूँ दिल नही मैला करते  थे जो कभी अपने उनसे नहीं रूठा करते इतनी बातो में कुछ मीठी सी यादे भी तो हैं सुलगी चिंगारियों से दिल नही रोशन करते जिन्दगी का ये सफर एक राह हम साथ चले आशना थे जो कभी उनको नहीं तगाफुल करते  यादों को सहेजे रखना तो अलग बात है मगर बीते उन लम्हों  मॆं फ़साने  नही खोजा करतें.. गिले तो वक्त को भी हम से कुछ रहें होंगें  गुजरे हुए वक्त से नही इस कदर शिकवे करतें… अब जो बिछुड़े हैं  तो के मुलाकात भी ना हो अलविदा कहके यूँ मुँह नही मोड़ा करतें… जाने वालो से यूँ दिल नही मैला करते ….

वो प्यारी सुबह

Image
  सूरज की आखों मॆं पड़ती किरने अलसाये बिस्तर पर सिकुड़ी सी चादर सुबह सवेरे, कानो मॆं पड़ती माँ की आवाज अखबार वाले की दरवाजे पर दस्तक, भाई का मुझको आ कर जगाना, स्कूल की टाई की नोट लगवाना, उठते ही माँ का ये कहना, जमीन पे पाव मत रखना, सर्दी लग जायेगी तुमको, दिल मॆं भरे प्यार का इशारा, सोकर उठ कर पापा की गोदी मॆं सर रखे आंखें मूंदे, कुछ  क्षण  यूही लेटे रहना कितनी प्यारी थी वो सुबह, सुबह तो आज भी हुई है, सूरज भी निकला होगा, माँ भी जागी होंगी, शायद दिल मॆं उसके मेरी तबियत की चिन्ता भी होगी भाई आज भी टाई बाँधता होगा, अखबार आज भी आया होगा, पापा आज भी बैंठें होंगे, सोचते की मैं कब फिर आ कर उस गोदी मॆं सर रखूँगी, यहाँ बहुत दूर, मैं तन्हा सोचती हूँ, एक दिन फिर लौट जाऊंगी घर जा कर अपने बचपन मॆं फिर से , जहाँ पापा, माँ, भाई सब होंगे, इस दौड़ती भागती दुनिया से दूर, माँ की छाव मॆं, पापा की गोदी मॆं, उस प्यार से भरे संसार मॆं, लगता है इन कुछ सालो मॆं, सदिया पा...

आवाज़

आवाज़ उसमें गीत है, उसमें झंकार और है किसी मॆं एक सधा फनकार मुझमें क्या है? सोचती हूँ हर बार मुझमें हूंक है, मुझमें है आवाज वो आवाज़ जो आती है दिल से और लेती है शब्दो का आकार वाक्य बनकर, भावनाओं मैं ढल कर बदल सकती है ये संसार ......... यारों! सुनो मेरी एक बात तुम भी अगर सुन पाओ अपने इस दिल की आवाज़ कर पाओगे तुम भी अपना हर सपना साकार …. उठो , फिर क्यो है? ये अनभिज्ञता ख़ुद से पहचानो अपने वो ख्वाब आओ …. और आज दे ही दो अपने दिल की आवाज़ को आवाज़ अपने दिल की, आवाज़ को आवाज़.

मन मेरा बेचैन है

Image
मन मेरा बेचैन  है, या ऋतुओ  का फेर है। ठण्डी सी हवाए क्यों लगती है वज्र सी, लेती इम्तेहान मेरा हर घड़ी सब्र की। हर लम्हा रुक गया है, बैठा है पास मे, आयेंगे पिया मेरे, है ऐसी ही आस मे। इतना समझाया इसे, आभी कुछ तो देर है , मन मेरा बेचैन है, या ऋतुओं का फेर है। बारिश की बूंदे यूँ, मन को छू रही है क्यों, बैठी  हूँ दूर फिर भी तन भिगो रही है क्यों। पत्तों की सरसराहट हर तरफ है गूंजती, कदमो की हर आहात, कानो से पूंछती। दृश्य मैं हो तुम ही तुम, ये आँखों का हेर है, मन मेरा बेचैन है या ऋतुओं का फेर है। आभी तक महसूसती हूँ उंगलियों की छाप जो, पिंघल के कुछ उड़ गया है, तन मेरा है भाप जो। कमरे के कोने में चादर को ओढ़ के , बैठी समेट के और पैरों को मोड़ के। सन्नाटा छाया है, ख्वाबों का घेर है , मन मेरा बेचैन है या ऋतुओं का फेर है।

चली ससुराल

Image
     चली ससुराल     चाहतों की डोली मे, ख्वाहिशे चढ़ा कर, ख्वाबों की दुल्हन को प्यार से सजा कर। रिश्तो के नए पहलू, से की सगाई,  बाबुल ने घर से जो दी है बिदाई। बंधन जनम का मैं छोड़ वहाँ आई, जन्मों का बंधन मैं बाँध के हूँ आई। माँ ने निभाए जो रस्मो रिवाज, आँचल के कोने से बंधे है आज। पापा ने दी हैं दुआएं हज़ार, भाई ने पोटली भर रखा है प्यार। एक नयी रहा खुली कदमों के सामने, आये है हाथ मेरा सजन जी थामने। दिखती ससुर मैं है पापा की ही झलक, नाम है नया,नहीं रिश्ता ये कुछ अलग।                                                      बहनों की जो कमी मैं अब तक महसूसती थी, देकर सहयोग आपना, ननदों ने दूर की। देवर मिले मुझे है भाई से बढ़ कर, करेंगे...

Ma, Tu Yaha Hai

Image
मैं कब से सोई नहीं वैसे,  कभी सोई थी तेरी गोद में जैसे  आलिशान बिस्तर है मखमली चादर  पर तेरी साड़ी से आती खुशबू कहाँ है? कितने ही तालो में सुरक्षित हूँ मैं  तेरी गोद सा मेहफ़ूज़ एहसास कहाँ है? याद है मुझको तेरी उंगली पकड़ना  और वो मेरा बहकते कदमो से चलना  अब थक गयी हूँ चल चल कर मैं  वो आगे बढ़ने का निडर जज्बा कहाँ हैं?  तेरी उँगलियों ने दिखाए थे जो सितारे  वो और उन्हें पाने की चाहत कहाँ हैं? तेरा वो प्यार से खाना बनाना  और मुझे आपने हाथ से खिलाना  आज खाने को पकवान बहुत हैं  पर वो तेरे हाथ सी मिठास कहाँ हैं? कैसे भूलूंगी उन पलों को मैं  माँ मुझ पे तेरे ये एहसान बहुत हैं  मेरी हर धड़कन को छुआ है तूने  आज मैं तेरी रूह को  छू रही हूँ  वही एहसास, वही ख्वाब दे रही हूँ  मेरी बेटी की पलकों में  उसकी गर्म हथेली की पकड़  पर पल कहती है मुझसे  " माँ तू य...