झील और झरना
प्यार बना है झरना मेरा झील रही उसकी चाहत पर ठंडी सर्द हवाओं मैं जब कांप रही मेरी धड़कन जब ख़ामोशी की चादर ओढ़े, खड़ी रही उसकी चाहत पर लहरों के उन उफानो में जब मैं बहती हूँ हर पल संयम का आँचल थामे तब चलता वो गीले साहिल पर ...