Mehfil

मौसम है महौल है और कुछ यूँ खुशनुमा जज़्बात है 
महफ़िल में आज चार चांद क्यों ना लगे जब तुम से दोस्त मेरे साथ हैं 
 चलो जी लेते हैं ये पल खुल के आज हम bhi 
क्या पता ये वक्त aur कब तक अपने पास है।

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