जूता पुराण

जूता पुराण ~kavita nidhi


आज मंदिर की पौड़ी पे बैठे नज़र गयी अनगिनत जूतों पर 

रंग बिरंगे नए पुरानेकुछ बड़ेकुछ छोटे

कुछ सॉफ्ट हैं और कुछ हार्ड हैं 

मानिये जनाब ये जूते नहीं पहनने वाले के आधार कार्ड है  


वो चमकदार महंगा लेदर का

एक भी सिलवट नहीं है उस पर 

पर पहनने वाले का माथा सिलवटों भरा जरूर होगा 

ये जरूर किसी अमीर आदमी का रहा होगा 


और एक ये देखिये फटे तले वाला 

जाने किसने इसे घिसा होगा 

जरूर कोई इसे पहन बड़ा लम्बा चला होगा 

ये जरूर किसी गरीब का रहा होगा 


और ये लोये तो बिलकुल नया है 

लगता है किसी जवान लडके का है  

कुछ जरूरी खर्चे रोक कर बेटे का दिल रख लिया होगा 

ये पापा ने ही गिफ्ट किया होगा 


और ये हील वाली सैंडल क्या कमाल  हैं 

इसने किसी सुन्दर लड़की के पैरो को  शोभित किया होगा 

जरूर माँ बाप ने  लाडली को पलकों पे रक्खा होगा 

बिटिया को जरूर नाज़ो से पाला होगा 


और ये किसका  है अंगूठे में छेद वाला 

बेचारा किस्मत से कई बार ठोकरे खा के गिरा होगा 

 जाने किस हिम्मत से फिर से उठा होगा 

ये जरूर किसी बदनसीब का रहा होगा 


अरे  ये देखो इसकी तो सिलाई ही फटी है 

इसने जरूर तंगी में दिन रात गुजारा  होगा 

सोच के कि नया लिया तो महीने का कैसे गुजारा होगा 

ये तो पक्का किसी मिडिल क्लास वाले का रहा होगा 


ये जूते भी  क्या कमाल होते है , कुछ सॉफ्ट और कुछ हार्ड होते हैं 

पर मानिये जनाब ये पहनने वाले के आधार कार्ड होते है  

~Kavita Nidhi 

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