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जूता पुराण

जूता   पुराण  ~kavita nidhi आज   मंदिर   की   पौड़ी   पे   बैठे   नज़र   गयी   अनगिनत   जूतों   पर   रंग   बिरंगे   नए   पुराने ,  कुछ   बड़े ,  कुछ   छोटे ,  कुछ   सॉफ्ट   हैं   और   कुछ   हार्ड   हैं   मानिये   जनाब   ये   जूते   नहीं   पहनने   वाले   के   आधार   कार्ड   है    वो   चमकदार   महंगा   लेदर   का ,  एक   भी   सिलवट   नहीं   है   उस   पर   पर   पहनने   वाले   का   माथा   सिलवटों   भरा   जरूर   होगा   ये   जरूर   किसी   अमीर   आदमी   का   रहा   होगा   और   एक   ये   देखिये   फटे   तले   वाला   जाने   किसने   इसे   घिसा   होगा   जरूर   कोई   इसे   पहन   बड़ा ...
दो आंखे मेरे वजूद को निखारती  दो आंखे मुझे प्यार से निहारती   दो आंखे मेरे साथ हमेशा  मुझे हर मुश्किल से उबारती  और कहीं…. दो आंखे मुझे हर पल आंकती  दो आंखे हर पल कुछ न कुछ मांगती  दो आंखे मेरे स्वाभिमान को  तार तार सा कर डालती  बस दो आंखे…. कहीं जहनुम कहीं जन्नत  कहीं प्यार तो कहीं नफरत  ये दो आंखे…. काफी है तुम्हे सवारने को  या नसीब बिगाड़ने को 

Zindegi Muktak

  ये रेत सी थी जिंदगी जितनी पकड़ी उतनी ही फिसलती गई मैं इस कोने सिलती रही और ये उस कोने उधड़ती रही ~kavita Nidhi

Aapni apni wafayen

 तेरी वफ़ा  और मेरी वफ़ा में फ़क़त फर्क इतना है  मैंने खुद को लुटा के की और तूने मुझसे  निभा के की  तुम्हारी हमारी वफ़ा में फ़कत फ़र्क  इतना है  तुमने बस निभा  के की, और हमने सब लुटा के की! ~ kavitaNidhi

Kaid

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  Mujhe darwajo me band karke   Duniya sochti hai ki main kaid me hoon Meri nazar se dekho, ye duniya kaid hai Darwaje ke us paar,  Apni soch ki sankal lagaye  मुझे दरवाजो में बंद करके  दुनिया सोचती है कि,मैं कैद में हूँ  मेरी नज़र से देखो, दरवाजे के इस पार से  ये दुनिया कैद में है अपनी सोच की सांकल लगाए   ~kavita nidhi 

Muktak

  प्यार   को   गलियों   में   भी   घूमे ,  दर - ए - मोहब्बत   पे   कई   दस्तके   भी   दी जब   ठुकराएं   गए   हर   जगहा   से   निधि ,  पनहा   मुझे   मेरे   दोस्तो   ने   ही   दी ~kavitaNidhi वो   क्या   हक   जताएंगे   मुझेपे ,  जो   मेरी   बेरुखी   भी   सह   न   सके क्या   करेंगे   मोहब्बत   हमसे ,  वो   दो   लफ्ज   प्यार   के   कह   न   सके ~kavita Nidhi  जरुरातों   के   बाजार   में   जब   अपनी   बोली   लगी, बड़ी ऊँची  कीमत मिली  ये नहीं जानते निधि कि   प्यार   के   बाजार   से  हम  नीलम   होके  निकलें हैं  ~kavita Nidhi  कहाँ से लाते हैं वो अपनी बातों में बड़प्पन इतना  मैंने जब भी हाल- ऐ- दिल ये कहा , खुद  को छोटा सा महसूस किया...

जरूरी है

प्यार   को   बढ़ाने   के   लिए  माना कि  रहना   थोड़ा   सा   पास   जरूरी  है पर प्यार   बना   रहे   हैं  इसलिए  कभी   कभी  दूरी  का   एहसास   जरूरी   है सच   से   बहुत परे   ही   सही ,  पर   आंखो   में  थोड़े से  ख्वाब   जरूरी   है और   जिंदा   रहने   को   झूठी   ही   सही ,  एकउम्मीद ,  एक   आस   जरूरी   है ठंडे   मटके   के   पानी   का   मजा   चाहिए तो, तपती   धूप   में   चंद   लम्हात   जरूरी   है खुशी   महसूस   करनी   है   तो   जनाब   दर्द   से   जरा  सी  पहचान   जरूरी   है हार   को   जीत   में   बदलना  हो तो,  थोड़ा  जज्बा,   थोड़ा   विश्वास   जरूरी   है भगवान   तो माफ़   कर   देंगे ,...