छोड़ अँधियारा
छोड़ अँधियारा सभी आज उजाला करके बैठी हूँ आज यहाँ मैं तेरी रहें तकते इस तरह इंतज़ार तेरा करू देर तलक तुम भी चले आना यहाँ कोई बहाना करके बासुरी सी मैं बजूं लग के अधरों से तेरे बहूँ संगीत सी मैं जो तेरी ऊँगली थिरके छोड़ न जाना मुझे तुम यूं बेगाना करके अपने इस प्यार में मीरा सा दीवाना करके तुझमे ही खोयी हूँ और तुझमे ही उलझी हूँ मैं इस तरह प्यार में तप के तेरे झुलसी हूँ मैं तेरे छू लेने से मन की मेरे गिरहा सुलझे बंधके बंधन में तेरे मेरा ये जीवन सुलझे एक लगन खुद में भी लौ सी कोई सुलगा करके (लो तुम ) दिया तुम (एक) प्यार का खुद में कोई अलगा कर के ( लो तुम छोड़ अँधियारा सभी आज उजाला करके तुम भी चले आना यहाँ कोई बहाना करके छोड़ अँधियारा सभी……..