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छोड़ अँधियारा

छोड़ अँधियारा सभी आज उजाला करके बैठी हूँ  आज यहाँ मैं  तेरी रहें तकते   इस तरह इंतज़ार तेरा करू देर तलक  तुम भी चले आना यहाँ कोई बहाना करके  बासुरी सी मैं बजूं लग के अधरों से तेरे  बहूँ संगीत सी मैं जो तेरी ऊँगली थिरके  छोड़ न जाना मुझे तुम यूं बेगाना करके  अपने इस प्यार में मीरा सा दीवाना करके  तुझमे ही खोयी हूँ और तुझमे ही उलझी हूँ मैं  इस तरह प्यार में तप के तेरे झुलसी हूँ मैं  तेरे छू लेने से मन की मेरे गिरहा सुलझे   बंधके बंधन में तेरे मेरा ये जीवन सुलझे  एक लगन खुद में भी लौ सी कोई सुलगा करके (लो तुम ) दिया तुम (एक)  प्यार का खुद में  कोई अलगा कर के ( लो तुम  छोड़ अँधियारा सभी आज उजाला करके तुम भी चले आना यहाँ कोई बहाना करके छोड़ अँधियारा सभी……..

Mehfil

मौसम है महौल है और कुछ यूँ खुशनुमा जज़्बात है  महफ़िल में आज चार चांद क्यों ना लगे जब तुम से दोस्त मेरे साथ हैं   चलो जी लेते हैं ये पल खुल के आज हम bhi  क्या पता ये वक्त aur कब तक अपने पास है।

ख़ुदगर्ज

वो   मेरे   एहसान   का   बदला   चुकाने   आये   हैं   मजबूरियों   में   मेरी   मुझ   पर   हक   जताने   आये   हैं दूर   से   लेते   रहे   बर्बादियों     का   ये   मज़ा   तब दफ्न   करके   लाश   को ,  फिर   से   ज़िलाने  (जलाने) आये   हैं। कोहराम   सा   इन   धड़कनो   में   बिन   रुके   मचता   रहा दिल   की   गहराई   में   एक   नासूर   सा   चुभता   रहा प्यार   को   उनको   तरसते   अश्क   भी   सूखे   मेरे आज   छूकर   वो   लबो   से ,  फिर   रूलाने   आये   हैं एक   तेरी   आवाज़   सुनने   को   तड़पते   हम   रहे। तेरी   गलियों   में   भटकते   एक   ज़माना   हम   रहे ज़िल्लतो   से   हार   कर, मायूस ...

Darmiyan

 नज़दीक थे वो इस कदर, कि दरमियाँ  कुछ न रहा  आज इतने दूर हैं, कि दरमियाँ कुछ न रहा