जमघटों को देख लो
हैं सुलगती दिल में इनके नफरतों को देख लो जल के हो गयी धुआँ इन सिगरटों को देख लो हैं भरोसे को मेरे ये जोक सा सब चूसते रंग बदलते हर घड़ी इन गिरगिटों को देख लो हर ख़ुशी क्या जीत लोगे ज़िन्दगी में दौड़ के उन अमीर बिस्तरों की करवटों को देख लो है गुमान गर तुम्हे की हो यहाँ तुम चिर यथा एक बार जाके तुम उन मरघटों को देख लो महफ़िलों की जान खुद को जो समझते हो यहाँ थे खिलखिलाते जो, सूने पनघटों को देख लो चेहरे की उन रौनको पे मर मिटें जो मेहरबान आज उनही सूरतों की सिलवटों को देख लो बंधनो ...