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Showing posts from May, 2022
दो आंखे मेरे वजूद को निखारती  दो आंखे मुझे प्यार से निहारती   दो आंखे मेरे साथ हमेशा  मुझे हर मुश्किल से उबारती  और कहीं…. दो आंखे मुझे हर पल आंकती  दो आंखे हर पल कुछ न कुछ मांगती  दो आंखे मेरे स्वाभिमान को  तार तार सा कर डालती  बस दो आंखे…. कहीं जहनुम कहीं जन्नत  कहीं प्यार तो कहीं नफरत  ये दो आंखे…. काफी है तुम्हे सवारने को  या नसीब बिगाड़ने को 

Zindegi Muktak

  ये रेत सी थी जिंदगी जितनी पकड़ी उतनी ही फिसलती गई मैं इस कोने सिलती रही और ये उस कोने उधड़ती रही ~kavita Nidhi

Aapni apni wafayen

 तेरी वफ़ा  और मेरी वफ़ा में फ़क़त फर्क इतना है  मैंने खुद को लुटा के की और तूने मुझसे  निभा के की  तुम्हारी हमारी वफ़ा में फ़कत फ़र्क  इतना है  तुमने बस निभा  के की, और हमने सब लुटा के की! ~ kavitaNidhi