दो आंखे मेरे वजूद को निखारती दो आंखे मुझे प्यार से निहारती दो आंखे मेरे साथ हमेशा मुझे हर मुश्किल से उबारती और कहीं…. दो आंखे मुझे हर पल आंकती दो आंखे हर पल कुछ न कुछ मांगती दो आंखे मेरे स्वाभिमान को तार तार सा कर डालती बस दो आंखे…. कहीं जहनुम कहीं जन्नत कहीं प्यार तो कहीं नफरत ये दो आंखे…. काफी है तुम्हे सवारने को या नसीब बिगाड़ने को
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