Posts

Showing posts from December, 2021

ठहरना ही भूला बैठे

ज़माने से जमाने में, ज़माने हम गवां बैठे सभी कुछ जान जाने में, खुद ही को हम भूला बैठे ना अब वो रात आती है,ना वो सुबह ही होती है नया सूरज उगाने में, क्यो ये नींद उड़ा बैठे ये अलीशान घर भी तो, कहां मेरी जरूरत था  ज़माने को दिखाने में, ये क्या क्या हम जमा बैठे वो गाँव की थी पगडंडी, जहां थे झूम के चलते ये कैसी दौड़ में भागे, ये किस रास्ते निकल बैठे जीत हर हाल में हासिल, इसी एक शर्त पे जीते मगर इस सिलसिले में,हम ठहरना ही भूला बैठे बहुत कुछ हम जमा करके, बहुत कुछ हम लुटा बैठे ज़माने से जमाने में, ज़माने हम गवां बैठे~kavitaNidhi 

Pyar ke bol ka

  प्यार के बोल का प्यार ही मोल है प्यार को तोल न प्यार अनमोल है प्यार निशब्द है प्यार ही गूंज है प्यार की है जो भाषा वही मौन है प्यार के इन्ही धागों से जख्म है सिला  जिंदगी खिल गई प्यार जिसको मिला प्यार ही हैं    दवा प्यार ही तो दुआ शून्य ही है ये जीवन इसके बिना प्यार जो था सिया का वही राम है  राम थे जो सिया के वही प्यार है  कृष्ण राधा निभाए वही प्यार हैं  प्यार निस्वार्थ है  प्यार ही तीर्थ है  न कोई शर्त हो, प्यार की शर्त है  प्यार से जीत लो प्यार में हार के  कर लो हासिल उन्हे अपना सब वार के  प्यार में है खुदा प्यार सब से जुदा हो गया वो अमर इसमें जो मर मिटा