Posts

Showing posts from December, 2020

चलो खामोशियाँ सुनते हैं

चलो खामोशियाँ सुनते हैं मुस्कुराते हुए होठो की मायूसियां सुनते हैं  चलो खामोशियाँ सुनते हैं!! टिमटिमाती चमचमाती आंखे बचपन की  बिखरे बाल नंगे पाव भूखे पेट की लाचारियां सुनते हैं  चलो खामोशियाँ सुनते हैं!! लड़खड़ाती जुबान की बेबसी भी सुनते हैं  जो कहा उसने कहा, जो सहा आज इसे भी सुनते है  आओ कुछ खामोशियाँ सुनते हैं !! बातो के शोरगुल से चलो दूर चलते है  दो लफ्ज़ो के बीच की गहराइयों में उतरते हैं  चलो आज खामोशियाँ सुनते हैं !! खबरों और अखबारों में धमाके ही क्यों   ख्वाबो के टूटने की बेआवाज़ चीत्कारियाँ भी सुनते हैं  चलो आज ये खामोशिया भी सुनते हैं !! उन पंक्तियों के बीच में  रूककर  साँस लेने के अंदाज़ को परखते हैं  चलो आज ये खामोशिया सुनते हैं !! अपने कानो को बंद करके आज अपनी धड़कनो को सुनते हैं  अपनी आँखों से उसकी  आँखों को भी पढ़ते हैं  चलो आज हम ये खामोशियाँ सुनते हैं !!